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हाईकोर्ट सख्त, प्रेमिका की अंतरंग तस्वीरें भेजने वाले युवक की जमानत याचिका खारिज

jantaserishta.com
24 Feb 2022 1:52 PM GMT
हाईकोर्ट सख्त, प्रेमिका की अंतरंग तस्वीरें भेजने वाले युवक की जमानत याचिका खारिज
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी प्रेमिका की अंतरंग तस्वीरें उसके परिवार के सदस्यों को भेजने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह पीड़िता के साथ विश्वासघात करने का मामला है. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने यह आदेश बलराम जायसवाल की अर्जी पर दिया.

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने आरोपी बलराम की याचिका खारिज करते हुए 7 फरवरी को अपने दिए आदेश में कहा, पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर आवेदक किसी भी सहानुभूति के लायक नहीं है. यह ध्यान में रखते हुए कि यह वह आवेदक है जिसने आनंद के लिए अपने रिश्ते का शोषण किया, उसके बाद पीड़िता की अंतरंग तस्वीरों को हासिल करने के लिए उसका विश्वास जीतने में सफल रहा और अंत में उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. आरोपी जेंडर के प्रति सबसे असंवेदनशील और धूर्त व्यक्ति है.
एजेंसी के अनुसार पीड़िता और युवक फेसबुक के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आए. इसके बाद दोनों के रिश्ते गहरे होते गए. दोनों ने मिलना शुरू कर दिया. पीड़िता ने आरोप लगाया कि इसके बाद बलराम ने कई बार उससे शारीरिक संबंध बनाए. उसने उसके कुछ अंतरंग वीडियो और फोटो ले लिए फिर उसका शोषण करना शुरू कर दिया. बलराम ने लड़की को धमकाने और शर्मिंदा करने के लिए आपत्तिजनक व्हाट्सएप चैट भेजना शुरू कर दिया.
पीड़िता ने आरोप लगाया कि इसके 22 फरवरी, 2021 में जब वह अपने घर जा रही थी, बलराम ने रास्ते में उसे रोक लिया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया, धमकियां और गालियां भी दीं. इसके बाद लड़की ने वाराणसी के लंका थाने में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का केस और आईटी की धारा 67 के तहत केस दर्ज करवा दिया. फिलहाल आरोपी बलराम जायसवाल इस मामले में पिछले साल 9 अगस्त से जेल में बंद है.
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मौजूदा सबूतों से अपीलकर्ता के स्वार्थ और बुरे इरादे का साफ पता चलता है. उसने सहमति से संबंध बनाने के लिए उस लड़की की गरिमा, सम्मान को सड़क पर ला दिया, जो एक समय में उसकी अपनी प्रेमिका थी. जस्टिस ने कहा कि स्वाभाविक रूप से पीड़िता ने भविष्य में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इन परिस्थितियों में आरोपी को इस पाप की कीमत चुकाए बिना स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. संक्षेप में, यह आवेदक द्वारा पीड़ित के विश्वास के साथ विश्वासघात का विशेष मामला है.
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