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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
जमानत देने से इंकार कर दिया है.
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को जमानत देने से इंकार कर दिया है जिस पर फर्जी डॉक्टर बनकर घूमने का आरोप लगाया गया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, "मेरे विचार से आरोपी को जमानत पर रिहा करना समाज के स्वास्थ्य के लिए खतरा होगा. आवेदन पर कोई विचार नहीं किया जाना चाहिए. इसे खारिज किया जाता है."
न्यायमूर्ति एसके शिंदे की पीठ शेख महमूद फारुख द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आरोपी फारुख के वकील अखिलेश जायसवाल और प्रतिभा पवार ने स्वीकार किया कि फारुख एक फर्जी डॉक्टर है. मामले में शिकायत डॉ. शीतलकुमार पडवी द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि फारुख फर्जी डॉक्टर बनकर घूम रहा है. आरोप है कि फारुख ने पडवी को पुणे जिले के शिरूर तालुका में कोरेगांव में शुरू करने जा रहे अपने अस्पताल में बड़ी राशि का निवेश करने के लिए राजी किया था.
डॉ. पड़वी ने कहा कि फारुख की मानें तो उन्होंने करीब 17,50,000 रुपये नकद और चेक में निवेश किए. एक बड़ी राशि निवेश करने के बावजूद, फारुख अस्पताल का पंजीकरण प्राप्त नहीं कर सके थे. बाद में डॉ. पड़वी को सूत्रों से पता चला कि फारुख फर्जी डॉक्टर हैं. इसलिए, उन्होंने महाराष्ट्र की मेडिकल काउंसिल से पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि फारुख ने एक जाली प्रैक्टिस सर्टिफिकेट बनावाया हुआ है.
शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने फारुख को गिरफ्तार कर लिया था और चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. न्यायमूर्ति एसके शिंदे ने पाया कि चार्जशीट में, फारुख की प्रैक्टिस के जाली प्रमाण पत्र के अलावा, फारुख ने आधार कार्ड जैसे जाली दस्तावेजों को श्री मोरया अस्पताल के नाम पर एक बैंक खाता खोलने में सक्षम बनाने के लिए तैयार किया था. इस प्राथमिकी के अलावा राजनगांव पुलिस स्टेशन में साल 2021 में दर्ज एफआईआर में फारुख के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के दो और अपराध दर्ज किए गए.
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