भारत
हाई कोर्ट ने नगर निगम को फटकारा, फाइलों में आदेश जारी करने से क्या मच्छर प्रजनन करना बंद कर देंगे
jantaserishta.com
25 Dec 2021 4:29 AM GMT
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जानें मामला।
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यहां मच्छरों के प्रकोप को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि दिल्ली में मच्छरों का प्रजनन रोकने के लिए सिर्फ कागजों पर ही काम हो रहा है। अदालत ने कहा कि हर साल मच्छरों का प्रजनन रोकने के लिए सिर्फ पेपरवर्क किया जा रहा है। अदालत ने स्थानीय निकायों को आदेश दिया कि वो एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करें ताकि इस समस्या पर काबू पाया जा सके। अदालत ने कहा कि इसे म्यूनिसिपल कमिशनर लीड करें।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ ने इस बात पर गौर किया कि दिल्ली के लोगों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और प्रशासन इस संबंध में कही कदम उठाने और इसका प्रबंधन करने में नाकाम है। खंडपीठ ने कहा, पिछले 20 साल से हर साल हम एक ही चीज को झेल रहे हैं और कुछ भी होता नहीं दिख रहा है। आखिर कमिश्नर क्यों नैतिक जिम्मेदारी नहीं लेते हैं और अपना इस्तीफा देते हैं? पीठ ने कहा कि आप कागजों में आदेश जारी करते हैं कि कोई प्रजनन नहीं होना चाहिए। जैसे कि अगर आप अपनी फाइल में ऐसा कहेंगे तो मच्छर प्रजनन करना बंद कर देंगे।
दिल्ली में मच्छरों से बढ़ रहे इन्फेक्शन पर अदालत ने मई के महीने में स्वत: संज्ञान लिया था। इस साल डेंगू के बढ़े मामलों को लेकर नगर निकायों की तरफ से भारी बारिश को इसकी वजह बताई गई थी। अदालत ने कहा कि सिर्फ ऊपरी तौर पर दिखावे का काम हुआ है, अगर प्रशासन पहले से सक्रिय होता तो फायदा पहुंचने के सबूत कहां हैं?
अदालत ने कहा, 'आप सभी आरोप बारिश पर डालना चाहते हैं। इसका मतलब हुआ कि हम भगवान के भरोसे हैं। यह सिर्फ बहाने हैं। आपको किसी ना किसी पर जिम्मेदारी डालनी होगी। अगर आंकड़ें कम नहीं होते तो किसी की जिम्मेदारी होनी चाहिए।'अदालत ने आगे कहा स्थानीय निकायों को मच्छरों के प्रजनन की बड़े पैमाने पर जांच करनी होगी और छिड़काव भी करना होगा।
अदालत ने कहा कि इसके लिए निकायों को और अधिक बल की जरुरत पड़ सकती है। 'आपको और ज्यादा सक्रिय लोग ग्राउंड पर चाहिए। जिन्हें टास्क दिया जा रहा है उनकी सही तरीके से मॉनिटरिंग होनी चाहिए। शायद इसलिए क्योंकि शीर्ष व्यक्ति जुलाई और अगस्त के महीने में अपने एयर-कंडीशन कार्यालय में बैठे रहते हैं। वो सिर्फ कागजों पर काम को देखते हैं।'
अदालत में उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे से पीठ ने कहा कि जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं हो रहा है। मामले में अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी।
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