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हाईकोर्ट ने दो लड़कियों को अनाथ घोषित करने की मांग को किया खारिज

Nilmani Pal
1 Nov 2022 2:40 AM GMT
हाईकोर्ट ने दो लड़कियों को अनाथ घोषित करने की मांग को किया खारिज
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जानें पूरा मामला

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक बच्चे के जैविक माता-पिता जीवित हों, उसे अनाथ नहीं कहा जा सकता है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये आदेश नेस्ट फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याचिका में संस्था के चाइल्ड केयर होम में रहने वाली दो लड़कियों को अनाथ घोषित करने की मांग की गई थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने संस्था की ओर से दायर याचिका खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि संगठन किसी सक्षम अधिकारी से संपर्क कर सकता है जो जांच के बाद इन लड़कियों को परित्यक्त घोषित करने के संबंध में निर्णय ले सकता है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अथॉरिटीज इसे लेकर 14 नवंबर तक इस संबंध में निर्णय लें.

जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और आरएन लोढ़ा की पीठ ने द नेस्ट इंडिया फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. याचिका में ये मांग की गई थी कि हाईकोर्ट, अथॉरिटीज को अनाथ प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निर्देश दे और कॉलेजों में रिक्त सीटों पर अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए इन लड़कियों को एक फीसदी आरक्षण का लाभ भी दिलाया जाए. संस्था की ओर से अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि ये लड़कियां चार-पांच साल की उम्र से संस्था के चाइल्ड केयर होम में रह रही हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इस दौरान इन लड़कियों की मां भी बड़ी मुश्किल से ही मिलने आईं. ऐसे में लड़कियों को जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट के तहत अनाथ कहा जा सकता है. चंद्रचूड़ ने ये भी कहा कि ये मान लिया जाए कि इन बच्चियों को अनाथ घोषित नहीं किया जा सकता है, तो भी इन्हें छोड़ा गया बच्चा घोषित किया जा सकता है.

उन्होंने कोर्ट में कहा कि अनाथ बच्चों को हेल्थ साइंस के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए एक फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता है. दोनों लड़कियों को छोड़ा गया बच्चा घोषित करने पर इन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का कोई कारण नहीं रहेगा. ये दोनों ही एक ही अधिनियम से संबंधित हैं. सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने इसका विरोध किया और कहा कि लड़कियों की जैविक मां जीवित हैं और ऐसे में उन्हें अनाथ नहीं कहा जा सकता. सरकारी वकील ने साथ ही संगठन की साख पर सवाल उठाए और कहा कि ये पंजीकृत नहीं है. संगठन के पास ये अधिकार भी नहीं है कि वो ये घोषित कर सके कि इन लड़कियों को छोड़ दिया गया है. सरकारी वकील की दलील से कोर्ट ने सहमति जताई और लड़कियों को अनाथ घोषित किए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी.

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