उत्तर प्रदेश

हाईकोर्ट ने दुर्घटना दावे को लेकर दाखिल याचिका हुई खारिज

Tara Tandi
2 Dec 2023 8:02 AM GMT
हाईकोर्ट ने दुर्घटना दावे को लेकर दाखिल याचिका हुई खारिज
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प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुर्घटना का दावा करते हुए कहा कि पीड़ित पक्षकार याचिका के लिए 226 के तहत सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया नहीं जा सकता है। आदिवासियों के लिए सबसे पहले दीवानी कोर्ट की शरण लेंगी होंगी।

ये है अहम फैसला -महेश चंद्रा त्रिपाणि और ग्रान्टल प्रशांत कुमार की खण्डपीठ ने छात्रावास के प्राथमिक विद्यालय मीरापुर में संगीत के विद्युत प्रवाह से जान गंवाने वाले के दौरान सहायक शिक्षक की पत्नी सारिका सानिया की ओर से पश्चिम विद्युत वितरण निगम द्वारा अधिष्ठापन से नामांकन करने वाले आदेश दिया। चुनौती देने वाली याचिका को अस्वीकृत कर दिया गया।

मामला बिजनौर जिले के नूरपुर ब्लॉक के अंतर्गत मीरापुर प्राथमिक विद्यालय का है। 10 सितंबर 2022 को याची के सहायक शिक्षक पति कौशल कुमार स्कूल के वॉशरूम गए थे। वहां वो 11 हजार केबी विद्युत तार के संपर्क में आए और मशीन पर उनकी मृत्यु हो गई। जबकि, स्कूल के एक अन्य सहायक शिक्षक जॉनी कुमार और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुमेर चंद्रा इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। याची की दुकान पर थाना चांदपुर में बंधक बनाया गया, किशोर की मौत का कारण करंट से मौत बताई गई।

जिसके बाद याची ने पश्चिम विद्युत वितरण निगम के आकाशी उत्पाद से प्लांट की मांग की थी। उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा प्रतिबंधों की जांच की गई और रिपोर्ट में दुर्घटना में घायल शिक्षक जॉनी कुमार और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सुमेर कुमार को शहीद शिक्षक के रूप में जाना जाता है, लेकिन याची को स्मारक प्राप्त करने का उल्लेख नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर अशाशीषी गर्ग ने याची के दावे को खारिज कर दिया।

याची ने जाँच रिपोर्ट और दावे को ख़ारिज करने वाले आदेश को उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय की माँग को चुनौती दी। विद्युत विभाग के वकील प्रांजल मेहरोत्रा ने पोषण संबंधी याचिका पर सवाल उठाए। साथ ही यह भी बताया कि मृतक के करंट की घटना के लिए उसे ही जिम्मेदार दोषी ठहराया गया है।

जबकि याची के प्रमुख मनोज कुमार और सुधाकर यादव ने बताया कि यह कठिन देनदारी का मामला है। विद्युत विभाग के दिवालियापन के कारण तार खुले थे, संपर्क में आने पर याची के पति की मृत्यु हो गई। इसके लिए उसे स्टॉकिस्ट हासिल करने का अधिकार है।

न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न मतभेदों का हवाला देते हुए माना कि यह मामला कठोर दायित्व के सिद्धांत के सिद्धांत में शामिल है, लेकिन 226 के तहत सीधे न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया नहीं जा सकता है। इसके लिए उन्हें सबसे पहले आशिक की शरण लेनी होगी। याची को सीमा अधिनियम का लाभ देते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

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