शिमला। हिमाचल हाई कोर्ट ने एसजेवीएन के तीन पावर प्रोजेक्ट टेकओवर करने से जुड़े मामले में सतलुज जल विद्युत निगम के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाने के आदेश दिए हैं। केंद्र सरकार के उपक्रम और प्रदेश सरकार के बीच रॉयल्टी को लेकर खींचतान चल रही है। सतलुज जल विद्युत निगम की ओर से कोर्ट को …
शिमला। हिमाचल हाई कोर्ट ने एसजेवीएन के तीन पावर प्रोजेक्ट टेकओवर करने से जुड़े मामले में सतलुज जल विद्युत निगम के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाने के आदेश दिए हैं। केंद्र सरकार के उपक्रम और प्रदेश सरकार के बीच रॉयल्टी को लेकर खींचतान चल रही है। सतलुज जल विद्युत निगम की ओर से कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट में मामले के लंबित रहते केंद्र सरकार के तीन उपक्रमों को टेकओवर करने की तैयारी प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है।
इस पर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह केंद्र सरकार के संबंधित प्रतिनिधियों से एक बार फिर रॉयल्टी को लेकर शीघ्र ही बातचीत करने जा रहे हंै और मामले को आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की ओर से दिए वक्तव्य के बाद एसजेवीएनएल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने के आदेश जारी किए। मामले पर सुनवाई 13 मार्च को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने पहले भी इस मामले को आपसी सहमति से सुलझाने को कहा था। सरकार के अनुसार मामले में प्रदेश के अधिकारों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस कारण मामले पर कोई सहमति नहीं बन पाई।
प्रदेश सरकार ने 20 दिसम्बर 2023 को एक पत्र जारी कर एसजेवीएनल को 15 दिनों के भीतर रिवाइज की गई रॉयल्टी पर अपनी सहमति न देने की सूरत में एसजेवीएनएल के सुन्नी, लुहरी और धौलासिध प्रोजेक्टों को टेकओवर करने की चेतावनी जारी की है। प्रदेश सरकार का कहना है कि बिजली प्रोजेक्ट में अपनी रॉयल्टी को 12, 18 और 30 फीसदी से बढ़ाकर 20, 30 और 40 फीसदी कर दिया है, जबकि एसजेवीएन को दिए गए प्रोजेक्टों से पांच फीसदी रॉयल्टी भी नहीं आ रही है। एसजेवीएन ने प्रदेश सरकार से यह प्रोजेक्ट तो ले लिए थे, लेकिन आज तक इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट साइन नहीं किया। इसीलिए अब कंपनी को प्रदेश सरकार की नई शर्तों के अनुसार एग्रीमेंट करना पड़ेगा।