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हाईकोर्ट ने अलग-अलग धर्मों के दो प्रेमियों को ऐसे मिलाया, माता-पिता थे रिश्ते से खिलाफ
Deepa Sahu
19 Jan 2021 5:34 PM GMT
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे पुलिस को आदेश दिया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे पुलिस को आदेश दिया है कि वह उस युवती को सुरक्षा प्रदान करे, जिसे अदालत में पेश किया गया था. एमबीए के एक छात्र की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए पुलिस द्वारा एक युवती को कोर्ट में पेश किया गया जिसके लिए याचिकाकर्ता ने प्रोटेक्शन दिए जाने की गुहार लगाई थी.एमबीए के छात्र ने कोर्ट को बताया कि वह अपना जीवन युवती के साथ गुजारना चाहता था जबकि उसके माता-पिता ने उसकी आजादी पर रोक लगा दी है.
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पिटले की खंडपीठ ने कहा कि युवती व्यस्क है. न कोर्ट और न ही उसके माता-पिता उसकी आजादी पर पहरा लगा सकते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यद्यपि याचिकाकर्ता और युवती एक साथ रहना चाहते हैं और शादी करना चाहते थे, लेकिन उसके माता-पिता उसे जबरन ले गए थे और इसलिए कोर्ट में उसकी उपस्थिति की मांग की गई है.
माता-पिता मिलने नहीं दे रहे
एडवोकेट एएन काजी को सूचित किया गया था कि उनके मुवक्किल और युवती पांच साल से रिलेशनशिप में थे और एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों शादी करने की योजना बना रहे थे. हालांकि युवती के माता-पिता रिश्ते के खिलाफ थे क्योंकि दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं. 16 दिसंबर को जब उनके मुवक्किल ने पुलिस से संपर्क कर उनकी मदद की गुहार लगाई थी, तो माता-पिता युवती को जबरदस्ती लेकर चले गए थे और उससे उनके मुवक्किल के साथ कोई संपर्क करने की अनुमति नहीं दी गई, इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करनी पड़ी.
हाईकोर्ट ने पुलिस को युवती को पेश करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए युवती को मंगलवार को अदालत में लाया गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा पूछताछ किए जाने पर युवती ने कहा कि वह व्यस्क है और उसे यह चुनने का अधिकार है कि वह किसके साथ रह सकती है लेकिन उसके माता-पिता इस फैसले के खिलाफ थे.
16 दिसंबर से घर में कैद!
युवती ने कोर्ट को बताया किया कि वह उस पुरुष के साथ रहना चाहती थी जिसके साथ वह पांच साल से रिश्ते में है और वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती थी, जिन्होंने उसे 16 दिसंबर से गलत तरीके से कैद कर रखा है.
युवती के माता-पिता जो खुद कोर्ट में मौजूद थे, उन्होंने उसके आरोप से खुद को अलग कर लिया. हालांकि वे इससे सहमत थे कि वह व्यस्त है. इसके बाद जस्टिस शिंदे ने उस शख्स से पूछा, जिसने यह कहा था कि वह महिला से शादी करना चाहता है और साथ रहकर जीवन गुजारना चाहता है.इस मामले में शामिल सभी लोगों के बयान सुनने के बाद, कोर्ट ने कहा, युवती व्यस्क है और अपनी इच्छा के अनुसार आगे बढ़ सकती है. हम उसकी आजादी पर पहरा नहीं डाल सकते, न ही माता-पिता उसे मना सकते हैं. वह कहती है कि "उसे गलत तरीके से कैद में रखा गया है. हम पुलिस को उसे उसकी पसंद के गंतव्य तक पहुंचाने और याचिका खत्म करने का निर्देश देते हैं."
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