हाईकोर्ट ने याची पर ही लगाया 50 हजार का जुर्माना, मामले में तथ्य छिपाने पर भड़के जज
यूपी। जो व्यक्ति दागी हाथ लेकर न्याय की मांग करने आता है उसे राहत पाने का कोई अधिकार नहीं है। यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कही है। कोर्ट ने कहा कि तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने वाला वस्तुत: न्यायालय से धोखाधड़ी करता है। इसी के साथ कोर्ट व्यक्तिगत विवाद में उलझे याची द्वारा अदालत में लंबित शत्रु संपत्ति से विपक्षियों की बेदखली की मांग में दाखिल जनहित याचिका को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है और याची पर 50 हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने शामली की कैराना तहसील में कालान गांव निवासी अकबर अब्बास जैदी की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने हर्जाने की राशि प्रयागराज के टैगोर टाउन मोहल्ले में एलआईसी कालोनी स्थित तारा संस्थान की रवींद्र नाथ गौर आनंद ओल्ड एज होम के बैंक खाते में जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची को यह हर्जाना तीन सप्ताह में महानिबंधक के समक्ष जमा करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जिलाधिकारी शामली राजस्व वसूली कर एक माह में जमा कराएं।
याची का कहना था कि वह समाजसेवी है। गांव का प्लाट संख्या 24 शत्रु संपत्ति घोषित है। याचिका में इसी प्लाट से तीन लैंड माफिया (विपक्षियों) के अवैध निर्माण को हटाने की मांग की गई थी। विपक्षियों ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची और वे एक फर्म के भागीदार थे और कथित शत्रु संपत्ति उनकी है। असिस्टेंट कलेक्टर ने उनके स्वामित्व के दावे को खारिज कर दिया था।
अपर आयुक्त मेरठ ने अपील मंजूर करते हुए जमीन के 1/5 हिस्से पर उनका हक माना। बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में दाखिल द्वितीय अपील रिमांड कर दी गई, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। यह अपील लंबित है। जमीन पर दुकानें बनी हैं। याची व विपक्षियों में फर्म भागीदारी थी, जिसे लेकर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए यह जनहित याचिका की गई है।