याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने दिलाया 10 लाख का मुआवजा, जानें पूरा मामला
तमिलनाडु। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने बुधवार को तमिलनाडु (Tamil nadu) के पेरम्बलुर जिला प्रशासन समेत चार लोगों से 10 लाख का मुआवजा लेने का आदेश दिया है. जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम (S M Subramaniam) ने एक याचिका के निपटारे पर यह आदेश जारी किया है. इसमें मृतक महिला के बेटे जी बालू की तरफ से याचिका दायर की गई थी. इसमें मांग की की गई थी कि उनके परिवार को मां की मौत पर सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाए. इस दौरान स्थानीय पंचायत और जिला प्रशासन पर लापरवाही, सुस्ती और गैर-जिम्मेदाराना काम करने का आरोप लगाया गया था.
याचिका में बताया गया कि स्थानीय पंचायत ने गांव में आवारा कुत्तों को मारने के लिए एक स्वदेशी समुदाय से संबंधित सदस्य विजयकुमार की सेवाएं ली थीं. यहां विजयकुमार द्वारा अंधाधुंध शूटिंग की वजह से फरवरी 2015 में याचिकाकर्ता की मां विजया के पैर में एक गोली लग गई थी. उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उसकी मृत्यु हो गई. बाद में पीड़ित परिवार मां की मौत के लिए हाईकोर्ट पहुंचा और संबंधित अधिकारियों पर कड़ा एक्शन लेने का अनुरोध किया. याचिका की अनुमति देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रथम दृष्टया मामला स्थापित कर सकता है. कोर्ट ने कहा, 'उसकी मां की मृत्यु पंचायत के लोगों द्वारा किए गए अवैध संचालन के कारण हुई. आवारा कुत्तों को गोली मारना अपने आप में एक अवैध कार्य था. इस प्रकार पंचायत पदाधिकारियों ने अवैध और अपराध का कार्य किया.' कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता मुआवजे का हकदार है, क्योंकि यह एक असामान्य घटना है जहां जिम्मेदार पंचायत अध्यक्ष और पार्षदों ने विजयकुमार को गांव में आवारा कुत्तों को गोली मारने के लिए लगाया था. ऑपरेशन ही अवैध था और आगे पोस्टमॉर्टम के दौरान याचिकाकर्ता की मां से निकाली गई गोली इस बात की पुष्टि करती है कि मौत गोली लगने से हुई है.'
कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य स्थापित होने के कारण पंचायत के लोगों को मुआवजे के लिए याचिकाकर्ता को संयुक्त रूप से ₹5 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है. इसके अलावा कलेक्टर याचिकाकर्ता को ₹5 लाख का भुगतान करेगा. इस प्रकार याचिकाकर्ता कुल 10 लाख रुपये के मुआवजे का हकदार है और उसे यह राशि आठ सप्ताह के भीतर मिल जाएगी.'