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हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बदला, बोला- लंबे समय तक सहमति से शारीरिक संबंध के बाद शादी से इनकार धोखाधड़ी नहीं

jantaserishta.com
23 Dec 2021 6:24 AM GMT
हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बदला, बोला- लंबे समय तक सहमति से शारीरिक संबंध के बाद शादी से इनकार धोखाधड़ी नहीं
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जानिए पूरा मामला।

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने 25 साल पुराने मामले में पालघर के एक व्यक्ति को धोखाधड़ी के आरोप में बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक आपसी सहमति से शारीरिक संबंध (Physical relationship) बनाने के बाद अगर कोई व्यक्ति महिला से शादी करने से इनकार करता है, तो यह धोखाधड़ी नहीं होगी.

उच्च न्यायालय का फैसला तब आया जब उसने एक महिला की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे के आधार पर पुरुष को धोखाधड़ी के दोषी ठहराने वाले निचली अदालत के आदेश को पलट दिया.
बता दें कि महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी के बहाने उसके साथ यौन संबंध बनाए, लेकिन बाद में उसने शादी करने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए आरोपी को बरी कर दिया. महिला ने 1996 में मुकदमा दर्ज कराया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने आरोपी द्वारा दायर अपील की जांच करते हुए कहा कि सबूत इस बात का संकेत देते हैं कि आरोपी औऱ महिला के बीच यौन संबंध सहमति से बने थे. लिहाजा वह करीब 3 साल से आरोपी के साथ में थी. आरोपी को केवल इसलिए IPC की धारा 417 के तहत दोषी ठहराया गया है, क्योंकि उसने महिला से शादी करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि क्या ऐसी परिस्थितियों में शादी से इनकार करना धोखाधड़ी का अपराध है.
इस तरह का कोई भी सबूत नहीं मिलाः हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने कहा कि महिला के साक्ष्य से यह संकेत नहीं है जिससे ये साफ हो कि आरोपी ने शादी के वादे को लेकर गलत धारणा के तहत यौन संबंध बनाए थे. साथ ही ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह संकेत मिले कि आरोपी का महिला से शादी करने का इरादा नहीं था. आईपीसी की धारा 90 के तहत केवल शादी से इनकार करना आईपीसी की धारा 417 के तहत अपराध नहीं होगा. बता दें कि आरोपी की बहन ने भी बताया था कि दोनों प्रेम में थे.
आरोपी ने खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा
पीड़िता की शिकायत के आधार पर आरोपी पर रेप (Rape) और धोखाधड़ी का धारा 376 और 417 के तहत मामला दर्ज किया गया है. निचली अदालत ने आरोपी को धोखाधड़ी का दोषी ठहराया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया. उसे एक साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. आरोपी ने फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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