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कोरोना से लड़ने हर्बल धूपबत्ती तैयार, पहली बार भारत में हुआ है शोध

Nilmani Pal
28 Jan 2022 12:32 PM GMT
कोरोना से लड़ने हर्बल धूपबत्ती तैयार, पहली बार भारत में हुआ है शोध
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आयुर्वेद (Ayurveda) के जरिए कोरोना (Coronavirus) से बचाव को लेकर देश में कई रिसर्च हो रहे हैं. इस दिशा में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) को एक बड़ी सफलता मिली है. शोधकर्ताओं ने विश्व में पहली बार एक ऐसी हर्बल धूपबत्ती एयरवैद्य तैयार की है जिसे घर में जलाने से न सिर्फ कोरोना संक्रमण का खतरा कम होता है, बल्कि यदि घर में कोरोना का रोगी हो तो दूसरे को संक्रमण फैलने का खतरा भी टल जाएगा. बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. केआरसी रेड्डी ने बताया कि आयुर्वेद में धूपम चिकित्सा का उल्लेख वर्षों पुराना है. लेकिन कोविड महामारी को लेकर विश्व में पहली बार यह साइंटिफिक स्टडी हुई है. उन्होंने बताया कि आईसीएमआर की क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री (सीटीआरआई) से पंजीकरण मिलने के बाद 19 जड़ी-बूटियों से निर्मित एयरवैद्य हर्बल धूप (एवीएचडी) के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल पूरे किए गए हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का यह उत्पाद कोरोना से बचाव, फैलाव तथा उपचार के आसान प्रबंधन में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. एयरवैद्य में राल, नीम, वासा, अजवाइन, हल्दी, लेमनग्रास, वच, तुलसी, पीली सरसों, चंदन, उसीर, गुग्गल शुद्ध, नागरमोठा, मेंहदी, नागर, लोबन धूप, कपूर तथा जिगट शामिल हैं. जो कोरोना से बचाव में लाभकारी होते हैं.

दो ग्रुप में हुआ अध्ययन

दो ग्रुप में हुए अध्ययन के बारे में डॉ. रेड्डी ने बताया कि कंट्रोल ग्रुप में 100 स्वस्थ वयस्क व्यक्ति शामिल किए गए .जबकि इंटरवेंशन ग्रुप में 150 व्यक्ति शामिल किए गए. इंटरवेंशन ग्रुप को एयरवैद्य के धुएं का दस-दस मिनट का सेवन सुबह-शाम कराया गया. जबकि दूसरे समूह को एयरवैद्य नहीं दी गई. दोनों समूहों को सामान्य कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने को कहा गया. एक महीने बाद जो नतीजे निकले वह चौंकाने वाले थे. इंटरवेंशन ग्रुप में सिर्फ छह लोगों यानी चार प्रतिशत में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण पाए गए, जबकि कंट्रोल ग्रुप में 37 लोगों यानी 37 फीसदी लोगों में कोरोना जैसे लक्षण दिखे. उन्हें बुखार, खांसी, सर्दी, की शिकायत हुई थी. एयरवैद्य के धुएं से होने वाले संभावित नुकसान के आंकलन के लिए ड्रोसेफिला मक्खियों पर भी अध्ययन किया गया और पाया गया है कि यह पूर्णत: दुष्प्रभाव रहित है.

पहली बार भारत में हुआ है शोध

डॉ. रेड्डी ने बताया कि भारत सहित पूरी दुनिया में पहली बार कोविड-19 और धूपम चिकित्सा पर शोध हुआ है जिसके तीन प्रमुख नतीजे निकलते हैं. एक एयरवैद्य धूप से कोविड संक्रमण या अन्य किसी वायरल संक्रमण का खतरा बेहद कम हो जाता है. दूसरे, इससे कोरोना का प्रसार कम होता है क्योंकि एयरवैद्य के इस्तेमाल से हवा में मौजूद कोरोना वायरस निष्क्रिय हो जाता है. ऐसे में यदि घर में कोई कोरोना रोगी है तो परिवार के अन्य सदस्यों में इसके फैलने का खतरा शून्य के बराबर हो जाता है. तीसरा फायदा यह है कि एयरवैद्य धूप शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस को गले से फेफड़ों तक पहुचने से भी रोकती है.



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