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हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में दायर की जमानत याचिका, साढ़े तीन माह से जेल में हैं बंद

jantaserishta.com
27 May 2024 6:23 AM GMT
हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में दायर की जमानत याचिका, साढ़े तीन माह से जेल में हैं बंद
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रांची: जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने अब झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। इसके पहले 22 मई को उन्होंने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद वापस ले ली थी।
इस मामले में रांची की स्पेशल पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने 13 मई को हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सोरेन की ओर से दाखिल जमानत याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ जिस 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जे का आरोप लगाते हुए ईडी ने कार्रवाई की है, उससे संबंधित एक भी दस्तावेज ईडी के पास नहीं है। यह झारखंड की सीएनटी (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) के तहत भुईंहरी नेचर की जमीन है, जो किसी भी हाल में किसी व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जमीन पर अवैध कब्जे में पीएमएलए के तहत शेड्यूल ऑफेंस का केस नहीं बनता। बहरहाल, सोरेन की इस याचिका पर फिलहाल सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है।
बता दें कि इस मामले में सोरेन ने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 21-22 मई को सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सोरेन की ओर से फाइल की गई पिटीशन में इस फैक्ट को छिपाया गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की स्पेशल कोर्ट संज्ञान ले चुकी है।
इसके बाद सोरेन की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी थी। बता दें कि बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने विगत 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। ईडी ने मामले में 30 मार्च को अदालत में हेमंत सोरेन के अलावा जमीन के मूल रैयत राजकुमार पाहन, हेमंत सोरेन के करीबी विनोद कुमार, राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और हिलेरियस कच्छप के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल की है।
इसमें बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से जमीन हासिल की, बल्कि जांच शुरू होने पर साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की।
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