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हेक्टेयर वन भूमि एचपीपीसीएल के नाम होगी हस्तांतरित

12 Jan 2024 4:17 AM GMT
हेक्टेयर वन भूमि एचपीपीसीएल के नाम होगी हस्तांतरित
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मंडी। 14 वर्षो से फाइलों में घूम रहे मंडी जिला के सदर विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित 191 मेगावाट क्षमता के थाना पलौन पनविद्युत प्रोजेक्ट के निर्माण की अंतिम अड़चन भी अब दूर हो गई है। केंंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने मंडी व जोगिंद्रनगर वनमंडल की 406.79 हेक्टेयर वन भूमि हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन एचपीपीसीएल के …

मंडी। 14 वर्षो से फाइलों में घूम रहे मंडी जिला के सदर विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित 191 मेगावाट क्षमता के थाना पलौन पनविद्युत प्रोजेक्ट के निर्माण की अंतिम अड़चन भी अब दूर हो गई है। केंंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने मंडी व जोगिंद्रनगर वनमंडल की 406.79 हेक्टेयर वन भूमि हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन एचपीपीसीएल के नाम करने की अनुमति दे दी है। मंत्रालय की तरफ से हालांकि यह प्रथम चरण की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके बाद इस योजना को बनाने में आड़े आने वाली मुख्य अड़चन दूर हो गई है। इस स्वीकृति के मिलने के बाद सदर विधानसभा क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। सदर विस के थाना पलौन में ब्यास नदी पर योजना का निर्माण किया जाना है। प्रोजेक्ट की कुल लागत का 2.5 प्रतिशत पैसा जलग्रहण क्षेत्र उपचार कैट पर खर्च करना होगा। प्रोजेक्ट में सालाना 692.61 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। प्रोजेक्ट का निर्माण 432.67 हेक्टेयर भूमि में होगा। इसमें 25.88 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है।

प्रोजेक्ट के विद्युत गृह में 50.33 मेगावाट क्षमता की तीन और 20.20 मेगावाट क्षमता की दो ग्रीन टरबाइन होंगी। बता दें कि इस योजना का सपना 2009 में देखा गया था, लेकिन तब प्रोजेक्ट मंत्रालय से मंजूरी व अन्य औपचारिकत्ताओं में ही फंसा हुआ है। वहीं मंजूरी मिलने के बाद सदर विधायक अनिल शर्मा ने भी खुशी प्रकट करते हुए कहा कि अब उनके पिता पूर्व केंद्रीय स्वर्गीय पंडित सुखराम का सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू होने से सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि 2018 में प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 1530 करोड़ रुपए आंकी गई है। मुख्य बांध का निर्माण थाना गांव में होगा। बांध 108 मीटर ऊंचा होगा। प्रोजेक्ट का जलाशय मुख्य बांध से बिजणी तक करीब 18 किलोमीटर, रणा खड्ड की तरफ 4.5 किलोमीटर व अरनोडी खड्ड में डेढ़ किलोमीटर तक रहेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के निर्माण मामला मुख्यमंत्री से उठाया था। जिसके बाद इसकी प्रकिया में तेजी आई है। इसके लिए वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आभारी है। उन्होंने कहा कि उनके लिए ये एक खुशी के साथ साथ एक भावनात्मक पल भी है। उन्होंने कहा कि फोरेस्ट क्लीयरेंस के आ जाने से अब इस परियोजना के निर्माण को गति मिलेगी। इस परियोजना के लिए तुरंत भूमि अधिग्रण के लिए विभाग को कहा गया है।

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