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'…दिल टूटना जीवन का हिस्सा बना' , बॉयफ्रेंड को SC ने किया बरी, जानें पूरा केस

12 Feb 2024 9:07 PM GMT
...दिल का टूटना आज जिंदगी का हिस्सा बना , जब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा ऐसा
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ब्रेकअप के बाद प्रेमिका को अपनी माता-पिता की मर्जी से शादी करने की सलाह देना, आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एक युवक को अपनी प्रेमिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपमुक्त करते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस विक्रमनाथ और के.वी. …

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ब्रेकअप के बाद प्रेमिका को अपनी माता-पिता की मर्जी से शादी करने की सलाह देना, आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एक युवक को अपनी प्रेमिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपमुक्त करते हुए यह टिप्पणी की है।

जस्टिस विक्रमनाथ और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि महज अपने किसी साथी/मित्र को माता-पिता की सलाह से शादी करने की सलाह देना आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं है। पीठ ने कहा कि आरोपी को उकसाने या आत्महत्या को सुविधाजनक बनाने के लिए कुछ कार्य करके सक्रिय भूमिका निभाते हुए दिखाया जाना चाहिए, तभी यह अपराध बनता है।

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि प्रेम संबंध, रिश्ते और दिल का टूटना आज रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ऐसे में, यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता ने ब्रेकअप करने के बाद प्रेमिका को अपने माता-पिता की सलाह/मर्जी से शादी करने की सलाह देकर, उसे (लड़की) को आत्महत्या के लिए उकसाने का इरादा था।

पीठ ने कहा कि ऐसे में सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, आरोपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं बनता है क्योंकि उसने (अपीलकर्ता युवक) किसी तरह की सक्रिय भूमिका नहीं निभाई थी। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने आरोपी को मामले में आरोपमुक्त कर दिया।

मौजूदा मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार ब्रेकअप के बाद लड़के ने प्रेमिका को अपने माता-पिता की मर्जी से शादी करने की सलाह दी। साथ ही कहा गया कि जब लड़के के परिवार वालों ने उसकी शादी के लिए दुल्हन की तलाश शुरू कर दी तो लड़की परेशान हो गई और उसने खुदकुशी कर ली। इसके बाद पुलिस ने युवक के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने युवक को राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद युवक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर अपने खिलाफ लंबित मामले को रद्द करने की मांग की थी।

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