दिल्ली स्थित बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एक नवजात शिशु के पैदा होने के 2 दिन के भीतर उसकी हार्ट सर्जरी की गई. डॉक्टरों की टीम ने बताया कि यह देश में अपने तरह का पहला मामला है. बच्चे के पैदा होने के बाद पता चला कि उसे एओर्टिक स्टेनोसिस नाम की दिल से जुड़ी बीमारी है. इस समस्या में हृदय की एओर्टिक वाल्व पूरी तरह खुल नहीं पाते हैं. वाल्व के संकुचित होने के कारण शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है. इससे दिल को पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और हृदय कमजोर होने लगता है.
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की एक टीम ने मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया द्वारा बैलून डायलेशन तकनीक का उपयोग करके सफलतापूर्वक इस बच्चे की जान बचाई. टीम के मुताबिक, इससे पहले भी ये प्रक्रिया बच्चों पर अपनाई गई है, लेकिन नवजात शिशुओं में ये स्थिति दुर्लभ है. क्योंकि ये मुख्य रूप से उम्र से संबंधित समस्या है. डॉक्टर्स का कहना है कि भारत में 2 दिन के नवजात शिशु पर किए गए पहले मामलों में से एक है.
डॉक्टरों के मुताबिक, एओर्टिक स्टेनोसिस असामान्य समस्या है, जो पैदा होने वाले प्रत्येक 1000 बच्चों में से लगभग 6 को प्रभावित करती है. इस समस्या को ज्यादातर लड़कों में देखा गया है. डॉक्टरों ने एंजियोग्राफी द्वारा कार्डियक कैथ लैब में वाल्व (बीएवी) के बैलून वाल्वुलोप्लास्टी का इस्तेमाल किया, जिससे मिनिमल इनवेसिव (ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया जो छोटे चीरों के माध्यम से की जाती है) सुनिश्चित हो सके.
कार्डियोलॉजी बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष और एचओडी डॉ सुभाष चंद्रा ने इस स्थिति के बारे में बताया कि बच्चे को एओर्टिक स्टेनोसिस हुआ था. जांच पर पाया गया कि झटके के संकेत के साथ बच्चे की सांसे तेज थीं और यूरीन का फ्लो कम हो गया था. इकोकार्डियोग्राम के द्वारा पता चला कि एओर्टिक वाल्व बहुत छोटी हो चुकी थी, जिससे हृदय को पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ रही थी. बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉ गौरव अग्रवाल ने बताया कि सर्जरी के दौरान वाल्व को पार करने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन कई प्रयासों के बाद वे ऐसा करने में सफल रहे.