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अनुच्छेद 370 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई

Sonam
4 July 2023 7:29 AM GMT
अनुच्छेद 370 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई
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5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के चार वर्ष हो जायेंगे। इन चार वर्षों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विकास के विभिन्न पैमानों पर बहुत आगे निकल चुके हैं लेकिन अब तक इस केंद्र शासित प्रदेश को लूटने वाले कुछ पारिवारिक राजनीतिज्ञों की उन याचिकाओं पर अब सुनवाई होने वाली है जिन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। हम आपको बता दें कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के करीब चार साल बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर सोमवार को जारी एक नोटिस के अनुसार, पांच न्यायाधीशों की पीठ दिशानिर्देश पारित करने के लिए 11 जुलाई को सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।

हम आपको बता दें कि इस मामले में मुख्य याचिका आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने दाखिल की थी जबकि कई अन्य लोगों ने भी केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की थीं। अदालत ने सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ दिया था लेकिन अब जब लगभग चार साल बाद इस मामले की सुनवाई होनी है तब शाह फैसल ने अपनी मुख्य याचिका को वापस ले लिया है। हम आपको यह भी बता दें कि शाह फैसल ने एक राजनीतिज्ञ के रूप में याचिका दायर की थी लेकिन अब वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में लौट आये हैं इसीलिए उन्होंने अपनी याचिका भी वापस ले ली है। वर्ष 2010 बैच के आईएएस अधिकारी शाह फैसल अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में अव्वल आने वाले पहले कश्मीरी हैं। उन्हें भी संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। शाह फैसल ने कुछ वर्षों की सेवा के बाद इस्तीफा दे दिया था और जनवरी 2019 में एक राजनीतिक पार्टी ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की शुरुआत की थी। हालांकि सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था और पेशे से डॉक्टर शाह फैसल को बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात किया गया था। शाह फैसल ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। बाद में शाह फैसल ने पिछले साल अप्रैल में एक आवेदन दायर कर उन सात याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने का आग्रह किया था, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को चुनौती दी थी। अब शाह फैसल का कहना है कि अनेक कश्मीरियों की तरह अब 370 मेरे लिये भी बीते समय की बात हो गया है।

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दूसरी ओर, अदालत द्वारा इस मामले की सुनवाई किये जाने की खबर के बाद कश्मीरी नेताओं की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में सुनवाई को लेकर आशान्वित हैं। अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा, "आखिरकार पीठ का गठन हो गया। मैं अब सही ढंग से सुनवाई शुरू होने को लेकर आशान्वित हूं।" उधर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली 2019 से लंबित याचिकाओं पर आखिरकार सुनवाई करने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत है।’’

दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविन्दर गुप्ता ने कहा है कि सरकार ने सभी संवैधानिक प्रावधानों का ध्यान रखते हुए ही फैसला किया था इसलिए हमें पूरा विश्वास है कि अदालत उस फैसले पर मुहर लगायेगी। वहीं जम्मू-कश्मीर भाजपा महासचिव अल्ताफ ठाकुर ने भी कहा है कि महबूबा और अब्दुल्ला की दाल अब गलने वाली नहीं है क्योंकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने अब जिस प्रगति पथ पर कदम बढ़ा दिये हैं वहां से आगे ही जाना है, पीछे जाने का सवाल ही नहीं है। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का भी कहना है कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हित में जो फैसला लिया था उसने इन क्षेत्रों की तकदीर और तस्वीर बदल दी है।

दूसरी ओर जनता दल युनाइटेड ने कहा है कि हमें इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा है क्योंकि इसे जिस तरीके से हटाया गया था उसके खिलाफ हमने आपत्ति जताई थी और संसद से वाकआउट किया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में नहीं थी।

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