कोर्ट में हुई झपटमारी केस की सुनवाई, जज ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
दिल्ली। आपराधिक मुकदमे के एक मामले में अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। अदालत ने कहा, यदि किसी आपराधिक मुकदमे में शिकायतकर्ता अनुपस्थित रहता है या वह आरोपियों की पहचान नहीं करता है, तो भी चश्मदीद गवाह की उपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है। सत्र अदालत ने एक विदेशी नागरिक के साथ झपटमारी के मामले में दो आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं। मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने शिकायतकर्ता के अपने देश लौटने की स्थिति में आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया था।
साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री की अदालत ने निचली अदालत के आदेश को पलट दिया है। उन्होंने कहा, 'बेशक शिकायतकर्ता ना तो आरोपियों को पहचान पाया और ना ही अब वह देश में मौजूद है, लेकिन यह तथ्य स्पष्ट है कि घटना के समय आरोपियों का पीछा करने वाले ऑटो चालक ने इनकी शिनाख्त की है। अब भी वह अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर अदालत में आरोपियों की पहचान कर चुका है। ऐसे में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा बंद करना न्यायसंगत नहीं है, बल्कि इनके खिलाफ मुकदमा चलाना ही उचित है।'
बाइक सवारों ने झपटा था मोबाइल अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 6 अक्तूबर 2019 को एक विदेशी नागरिक ऑटो से जा रहा था। इस बीच दो मोटरसाइकिल सवारों ने मोबाइल झपट लिया। ऑटो चालक ने पुलिस के सामने झपटमारों को पहचानने का दावा किया। लूट के एक अन्य मामले में इन झपटमारों की गिरफ्तारी हुई। उन्होंने इस झपटमारी में अपनी संलिप्ता कबूली। हालांकि, विदेशी नागरिक ने प्राथमिकी दर्ज कराते समय ही कह दिया था कि वह आरोपियों को नहीं पहचान सकता। इसके बाद वह अपने देश लौट गया।
अदालत ने कहा, किसी भी आपराधिक मुकदमे को शिकायतकर्ता नहीं, बल्कि राज्य सरकार अदालत में लड़ती है। ऐसे में शिकायतकर्ता का होना जरूरी नहीं है। मुकदमा चलाने के लिए पुख्ता साक्ष्यों को होना आवश्यक होता है। खासकर, चश्मदीद गवाह का होना अनिवार्यता की सूची में माना जाता है, क्योंकि अपराध बेशक व्यक्ति विशेष के साथ होता है, लेकिन कानून का उल्लंघन राज्य निर्धारित प्रावधानों का हो रहा होता है। ऐसे में इन मामलों में राज्यों की जिम्मेदारी होती है कि अपराध नियंत्रित करें।