यूपी। वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले में मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता को लेकर आज सुनवाई होनी है. कहा जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष आज इस मामले में बहस पूरी कर लेगा. इसके बाद हिंदू पक्ष बहस का जवाब देगा. हिंदू पक्ष के वकील ये उम्मीद जता रहे हैं कि आज सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रख सकता है. इस मामले में फैसला जल्द आ सकता है. जैसे-जैसे यह केस अपने अंतिम पड़ाव पर जा रहा है, वैसे-वैसे मामला दिलचस्प होता चला जा रहा है. मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का पिछले दिनों निधन हो गया था. अभय नाथ यादव के निधन के बाद मुस्लिम पक्ष ने योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू को अपना वकील नियुक्त किया था. मुस्लिम पक्ष के वकील मधु बाबू तबीयत का हवाला देते हुए कोर्ट नहीं पहुंचे. दूसरी तरफ ये बात भी कही जा रही है कि मुस्लिम पक्ष की पैरवी नहीं करने को लेकर मधु बाबू पर परिवार के लोग भी दबाव बना रहे हैं.
हालांकि, मधु बाबू के पुत्र विशाल सिंह ने बताया कि वे 75 साल के हो गए हैं. तबीयत ठीक नहीं रहती और इसी वजह से वे ये केस नहीं देख पाएंगे. विशाल सिंह ने बताया कि उनके पिता इस केस से पीछे हट चुके हैं. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया कि मधु बाबू पर इस केस को लेकर किसी तरह का कोई भी पारिवारिक दबाव नहीं था. दूसरी तरफ, मुस्लिम पक्ष के वकील ये कह रहे हैं कि मधु बाबू की तरफ से अभी तक कोर्ट में किसी भी तरह का कोई पत्र नहीं आया है, जिसमें इस केस से हटने की बात की गई हो. मुस्लिम पक्ष के वकील तौहिद खान ने कहा कि जब तक कोर्ट में आधिकारिक तौर पर केस से हटने को लेकर कोई पत्र नहीं आ जाता, तब तक यही माना जाएगा कि वे अभी भी मुस्लिम पक्ष के वकील हैं.
सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में क्या हुआ, इसे लेकर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता रईस अहमद ने बताया कि कोर्ट में ये जानकारी दी गई कि ये प्रॉपर्टी वक्फ की है और वक्फ में दर्ज भी है. इसलिए इस प्रॉपर्टी को देखने का अधिकार न्यायालय को नहीं है. सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल ही इस मुकदमे को देख सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि अगले दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को आधे घंटे का वक्त मिलेगा जिसमें प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट एक्ट 1983 पर वे अपनी बहस पूरी करेंगे.
रईस अहमद ने ये भी कहा कि सुनवाई के बाद अगली तारीख और समय को लेकर हिंदू पक्ष के वकील कोर्ट रूम में आपस में ही भिड़ गए और मारपीट तक की नौबत आ गई. ऐसा नहीं होना चाहिए था. मुस्लिम पक्ष के ही वकील मोहम्मद तौहिद खान ने बताया कि कोर्ट में ये दलील भी दी गई कि हाईकोर्ट ने दीन मोहम्मद के केस में अपने फैसले में ये स्पष्ट किया है कि यह संपत्ति वक्फ की है. इसमें अगर फिर से डिक्लेरेशन चाहते हैं तो आपको लखनऊ वक्फ ट्रिब्यूनल में जाना पड़ेगा न कि सिविल कोर्ट में.
उन्होंने ये भी कहा कि अगर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं थी तो आखिर उत्तर प्रदेश सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए क्यों एक्सचेंज डीड की? इससे भी कोर्ट को अवगत कराया गया.