भारत
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: सरकार को फटकार, अदालत ने बोला- आपका आंकड़ा गलत
jantaserishta.com
24 Nov 2021 7:45 AM GMT
x
SC on Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के प्रदूषण स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसका श्रेय सरकार के प्रयासों को कम, मौसम में बदलाव को ज्यादा जाता है. कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग मौसम में प्रदूषण के स्तर पर वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए. उसी के आधार पर योजना बनाई जानी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद नियंत्रण के उपाय अपनाना शुरू करती है. उसे इस तरह की व्यवस्था बनानी चाहिए, जिसमें मौसम विभाग से हवा के बहाव में बदलाव का अनुमान मिलते ही कदम उठाने शुरू कर दिए जाएं.
आज चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "16 नवंबर को AQI स्तर 403 था. अब यह 290 है." इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "यह तो हवा बहने के चलते हुआ है. हम जानना चाहते हैं कि आपने क्या किया है?" इस पर सॉलिसीटर जनरल ने केंद्र और राज्यों की तरफ से उठाए गए उपाय गिनाने शुरू कर दिए.
मेहता ने जजों को बताया कि इस दौरान अवैध निर्माण और नियमों के विरुद्ध चल रहे वाहनों पर जुर्माना लगाया गया. दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश अभी भी बंद है. थर्मल पावर प्लांट बन्द रखे गए हैं. सरकारी कर्मचारियों को दफ्तर लाने के लिए बस सुविधा दी गयी है. स्कूलों को अभी भी बंद रखा गया है. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "समस्या यही है कि आप स्थिति बिगड़ने पर काम शुरू करते हैं. वैज्ञानिक तरीके से तैयारी होनी चाहिए. हवा के बहाव को नियंत्रित नहीं कर सकते. लेकिन अगले 7 दिन हवा कैसी बहेगी, उसके आधार पर कदम तो उठा सकते हैं."
चीफ जस्टिस ने बात को आगे बढ़ते हुए कहा, "हवा का बहाव कम होने का अनुमान मिलते ही आपका प्रदूषण नियंत्रण प्लान तुरंत लागू हो जाना चाहिए. स्थिति बिगड़ने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए." बेंच का मानना था कि साल के अलग-अलग महीनों में दिल्ली की स्थिति अलग होती है. पिछले 5-6 सालों में हर मौसम में रहे प्रदूषण की वैज्ञानिक तरीके से समीक्षा होनी चाहिए. पूरे साल के लिए योजना बनाई जानी चाहिए. सॉलिसीटर जनरल ने इस सुझाव पर सहमति जताई.
इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के पास कई नई अर्ज़ियां आई हैं. एक मजदूर संगठन की है कि निर्माण कार्य को शुरू करवाया जाए. चीफ जस्टिस ने आगे कहा, "निर्माण कार्य रुकने से मज़दूर प्रभावित हैं. सरकार के लेबर वेलफेयर फंड में करोड़ों रुपए हैं? उनसे इन लोगों को 4-5 दिन पैसे दिए जाने चाहिए." कोर्ट ने संकेत दिया गया कि आगे इस पहलू पर विचार किया जाएगा.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, "हम इस मामले को बंद नहीं करेंगे. इस पर विस्तृत आदेश देंगे. आप AQI 290 बता रहे हैं. हमें पता चला है कि यह इस समय 381 है। हवा का बहाव 3 किमी/घंटा है. सोमवार को सुनवाई की जाएगी." कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि पंजाब, हरियाणा, यूपी में कितनी पराली खेतों से हटाई गई है. बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने सुझाव दिया, "अगर गोवर्धन मॉडल अपना कर फसल अवशेष उन राज्यों में भेजा जाए जहां पशुओं के लिए चारे की कमी है तो हल निकल सकता है." मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 29 नवंबर को होगी.
jantaserishta.com
Next Story