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नवजोत सिंह सिद्धू से जुड़े रोड रेज के मामले में 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
21 March 2022 11:52 AM GMT
नवजोत सिंह सिद्धू से जुड़े रोड रेज के मामले में 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुसीबतें कम नहीं हैं. 33 साल पुराने रोड रेज के मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से हुई सजा पर पुनर्विचार के लिए दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 25 मार्च को 2 बजे सुनवाई करेगा.

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रोड रेज के इस मामले में दी गई सजा पर सिद्धू को नोटिस भेजकर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. दरअसल रोड रेज मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. इस मामले में एक हस्तक्षेप याचिका भी सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल की गई है. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
इस हस्तक्षेप याचिका में सिद्धू को IPC की धारा 304 के तहत दंड दिए जाने की गुहार लगाई गई है. इसके अलावा याचिका में याचिकाकर्ता ने पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सिर में गंभीर चोट लगने से मौत की आशंका जताई गई है. चूंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि हार्ट अटैक से मौत नहीं हुई. इसलिए उनपर 304 के तहत सजा दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जिस घटना में किसी की मौत हुई हो, उसमें सिर्फ मारपीट की धारा लगाना गलत था. क्योंकि मामला और मंशा भी आखिरकार हत्या की ही रही तो सजा भी उसी की होनी चाहिए थी.
यह मामला साल 1988 का है, जब सिद्धू एक क्रिकेटर थे. 27 दिसंबर की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट गए थे. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हो गया था. बात हाथापाई तक जा पहुंची थी. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया था. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी.
उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला जो 1999 में खारिज कर दिया गया. लेकिन दिसंबर 2006 में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया और सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा के साथ 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. 2018 में सिद्धू का केस दिवंगत नेता अरुण जेटली ने लड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया और सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसी फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई है.
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