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रांची: सीएम के करीबियों के शेल कंपनी चलाने, सीएम को खनन लीज देने के मामले में सरकार की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। राज्य सरकार ने ईडी की ओर से सीलबंद रिपोर्ट व दस्तावेज पेश किए जाने तथा याचिका की वैधता के खिलाफ अपील दायर की है। झारखंड हाईकोर्ट ने दोनों मामलों की सुनवाई करते हुए ईडी को सीलबंद रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
20 मई को सरकार का पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया है कि सीलबंद रिपोर्ट भी आरोपी को दी जानी चाहिए। जब तक दस्तावेज नहीं मिलते तब तक जवाब दाखिल नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने 24 मई को सुनवाई निर्धारित की थी।
सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया है। अपने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से दायर कैविएट में प्रार्थी ने अदालत से कहा है कि कोई भी फैसला देने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में सीएम के करीबियों और सीएम को खनन लीज आवंटन के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर सीबीआई और ईडी से जांच कराने का आग्रह किया है।
आज झारखंड हाईकोर्ट में भी सीएम के करीबियों के शेल कंपनी चलाने, सीएम को खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में सुनवाई होगी। 19 मई को राज्य सरकार की इस दलील पर हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। इस पर 20 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। ऐसे में हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। इस पर अदालत ने सुनवाई 24 मई को निर्धारित कर दी थी।
19 मई को ही ईडी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर बताया था कि सीएम हेमंत सोरेन को खनन लीज आवंटित करने में खान सचिव पूजा सिंघल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मनी लाउंड्रिंग से जुड़े मामलों में भी पूजा सिंघल शामिल रही हैं और इसका साक्ष्य भी ईडी को मिला है। खूंटी में हुए मरनेगा घोटाले के कुछ मामलों की जांच की गयी है। यह मामला पूजा सिंघल के डीसी रहने के कार्यकाल का है। शेल कंपनियों के बारे में ईडी ने कहा है कि जांच के दौरान कुछ कंपनियों की भूमिका भी सामने आयी है।
खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका के मामले में प्रार्थी अरुण कुमार दुबे ने हस्तक्षेप याचिका दायर की है।
प्रार्थी ने अदालत से इस मामले की सीबीआई जांच कराने का आग्रह करते हुए सीबीआई को भी प्रतिवादी बनाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया है। इस पर अदालत ने सरकार से यह बताने को कहा है कि वह सीबीआई को प्रतिवादी बनाना चाहती है या नहीं। इस मामले की सुनवाई भी 24 मई को निर्धारित है।
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