भारत
दिल्ली आ रहे दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत के गौरवशाली परम्परा से होंगे रूबरू- ओपी धनखड़
Shantanu Roy
8 Sep 2023 12:07 PM GMT
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चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन होना प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव की बात है। भारत की परंपरा‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ एक धरा, एक परिवार, एक भविष्य के साथ दुनिया के शक्तिशाली देश चलने को तैयार है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बदले हुए भारत का सामर्थ्य है। उन्होंने कहा कि 9 व 10 सितम्बर को अमेरिका समेत तमाम ताकतवर व विकासशील देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत की संस्कृति और परम्परा से रूबरू होंगे। भारत अपनी परम्पराओं और संस्कृति से पूरी दुनिया में भाईचारा बढ़े इसी के लिए लगातार प्रयासरत है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारत जी-20 की बैठकों का संचालन करते हुए भाईचारा और बंधुत्व के एजेंडे को आकार देगा, जो हमारे लिए गौरवान्वित होने की बात है। आज के दौर की आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जी-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन सदस्यों के लिए भारत द्वारा मंच तैयार करना एक बड़ी उपलब्धि है। धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया को सही संचालन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत ने समय-समय पर दिखाया है कि विकसित देश उन्नत संसाधनों के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाए, जो भारत ने अपने सीमित संसाधनों के होते हुए हासिल किया है। प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि जब देश आजादी के 100वा साल मना रहा होगा, तब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा।
ओपी धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकास की बुलंदियों को छू रहा है। चाहे चंद्र यान 3 हो या आदित्य एल वन हो या कोविड जैसी महामारी में 140 करोड़ देशवासियों की जान बचाना, या फिर रक्षा क्षेत्र हो हर मामले में भारत औरों से बेहतर कर रहा है। दुनिया के बाकी देश भी अगर भारत के साथ मिलकर काम करेंगे तो मानव समाज की उन्नति और पृथ्वी संरक्षण के प्रयास में तेजी लाई जा सकती है। जी-20 में भी भारत का उद्देश्य यही है। भारत का जी-20 अध्यक्षता थीम भी- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य’ है।
उन्होंने कहा कि भारत जी-20 की बैठकों में सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चल रहे कार्यों में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा जी-20 का एक उद्देश्य तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा तैयार करना भी है। उन्होंने कहा कि भारत की थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य दूसरे देशों की भी पसंद आई है और सराहना भी की है। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि नवंबर-2022 में बाली शिखर सम्मेलन में जब जी-20 की अध्यक्षता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हथोड़ा सौंपा गया था तब प्रधानमंत्री ने दुनिया को आश्वस्त किया था कि कोविड महामारी के बाद के दौर में नई व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी अब भारत के कंधों पर है। जी- 20 की भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और सक्रियता से भरी होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने जो वादा किया उससे निभाने में वह लगातार प्रयासरत हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत विभाजित होती दुनिया में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। साथ ही विकासशील देशों के सरोकारों को आगे बढ़ाना और उनके मुद्दों को प्राथमिकता से रखना भी भारत की जिम्मेदारी है। वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया का अगुआ देश भारत ही है। इस वजह से दक्षिण एशिया के बाकी देशों के हितों को (जो जी20 का हिस्सा नहीं है) आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी भारत की ही है।
आज पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है। सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भी भारत की जरूरत है। भारत अपनी पूरी ताकत के साथ दुनिया के प्रमुख-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है। भारत से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर चर्चा का नेतृत्व करने की जो उम्मीद विश्व ने रखी है, भारत उस पर खरा उतर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान विकासशील देशों को उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने, वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कराने पर केन्द्रित है। जी-20 में 19 देश- भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा यूरोपियन संघ के देश शामिल हैं। भारत ने इसके अलावा बांग्लादेश, ईजिप्ट, मॉरीशिस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया है। जी-20 के सदस्य देश, दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी की नुमाइंदगी करते हैं। इन देशों का पूरी दुनिया की जीडीपी में 85 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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