15 साल से लापता था घर का मुखिया, परिजनों को दुर्गा पूजा के दौरान मिला
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कोलकाता(आईएएनएस)| महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के सुदूर भेंडाला के सतपुते परिवार के लिए इससे बेहतर दुर्गा महा अष्टमी नहीं हो सकती थी। सोमवार को परिवार को सूचना मिली की 73 साल के घर के मुखिया जो 15 साल से अधिक समय से लापता थे, वह 1,200 किमी दूर कोलकाता में हैं। परिवार ने उन्हें मृत मान लिया था। लेकिन जैसे ही सतपुते परिवार को ये सूचना मिली उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है।
दीपांकर चटर्जी, जो भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत्त जवान हैं। वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना जिले (कोलकाता से लगभग 46 किमी) के अशोकनगर में दोस्तों के साथ सुबह की सैर पर निकले थे, उस दौरान उन्होंने एक बुजुर्ग व्यक्ति को कूड़े के ढेर से खाने के लिए स्क्रैप उठाते हुए देखा। चटर्जी उस आदमी के पास पहुंचे और उनका नाम और वह कहां रहते थे, जानना चाहा। वह आदमी चटर्जी को घूरने लगा। तब उन्हें एहसास हुआ कि वह किसी प्रकार की मानसिक बीमारी से पीड़ित है। थोड़ी देर बातचीत करने और घुल मिल जाने के बाद, वह आदमी उनके साथ उनके क्लब हाउस में चलने के लिए तैयार हो गया। जहां उसे भोजन, पानी और पहनने के लिए नए कपड़े दिए गए। इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब समूह (डब्ल्यूबीआरसी) से संपर्क किया। वह जानते थे कि पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब ऐसे लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में मदद करता है। ये जानकारी डब्ल्यूबीआरसी के सचिव अंबरीश नाग विश्वास ने दी है।
डब्ल्यूबीआरसी भारत और अन्य देशों में व्यापक नेटवर्क के साथ रेडियो उत्साही लोगों का एक संगठन है। पिछले कई वर्षों में, उन्होंने इस नेटवर्क का उपयोग मानसिक समस्याओं वाले सड़कों पर पाए जाने वाले लोगों के परिवारों का पता लगाने के लिए किया है। उनकी भाषा से यह पता लगाने के बाद कि वह व्यक्ति महाराष्ट्र का है, समूह के सदस्यों ने महाराष्ट्र में अपने संपर्कों को सक्रिय कर दिया। भेंडाला में उनके परिवार का पता लगाने में उन्हें ज्यादा समय नहीं लगा।
अंबरीश नाग विश्वास ने बताया- वहां की पुलिस ने पुष्टि की कि बाबूराव बापूजी सतपुते एक राज्य सरकार के कर्मचारी थे। कई साल पहले, वह मानसिक विकार से पीड़ित हुए और घर छोड़ दिया। पुलिस शिकायत दर्ज की गई लेकिन उन्हें ढूंढने के सभी प्रयास व्यर्थ थे। अंत में, बाबूराव को मृत मान लिया गया था। उनकी पत्नी को पेंशन मिलने लगी और बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिल गई। सोमवार को खबर मिलने पर उनका परिवार बहुत खुश है। परिवार ने तुरंत उनकी पहचान का विवरण भेजा। वे सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उन्हें वापस लेने के लिए जल्द ही पहुंचेंगे।
उन्होंने कहा कि, डब्ल्यूबीआरसी जरूरतमंद लोगों को मुफ्त सहायता देने के लिए हमेशा तैयार रहती है। जब भी ऐसे लोग कोलकाता में या उसके आसपास सड़कों पर पाए जाए तो संगठन से संपर्क जरूर करें।