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वे खुद मरे नहीं थे बल्कि मार दिए गए थे…जेल में मिली थी 2 लाश

jantaserishta.com
11 Dec 2023 8:16 AM GMT
वे खुद मरे नहीं थे बल्कि मार दिए गए थे…जेल में मिली थी 2 लाश
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सुल्‍तानपुर: यूपी की सुल्‍तानपुर जेल में 21 जून को करिया उर्फ विजय पासी और मनोज रैदास के शव पेड़ से लटके मिले थे। तब जेल प्रशासन ने कहा था कि दोनों अवसाद में थे और इसी वजह से उन्‍होंने आत्‍महत्‍या कर ली लेकिन न्‍यायिक जांच से छह महीने बाद अब खुलासा हुआ है कि दोनों ने आत्‍महत्‍या नहीं की थी बल्कि उन्‍हें जहर देकर मार डाला गया था। हत्‍या के बाद दोनों के शवों को पेड़ से लटका दिया गया था। मामले के लिए जेल प्रशासन को जिम्‍मेदार ठहराया गया है। मारे गए दोनों युवक दलित समुदाय से थे।

इस सनसनीखेज वारदात को तत्‍कालीन जेल प्रशासन ने दो दिन छिपाए रखा था। मीडिया में मामले का खुलासा होने पर हड़कंप मच गया। करिया उर्फ विजय पासी और मनोज रैदास को अमेठी के जामो थाना क्षेत्र के लोरिकपुर गांव में रहने वाले पोल्‍ट्री फार्म संचालक ओमप्रकाश यादव (उम्र 48 वर्ष) की हत्‍या के इल्‍जाम में गिरफ्तार किया गया था। धारदार हथियार से 26 मई 2023 की रात में ओमप्रकाश की हत्‍या हुई थी। 20 वर्षीय विजय और 18 वर्षीय मनोज को 30 मई को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया जहां 21 जून की शाम उनकी पेड़ से लटकती लाश मिली। 22 जून को गांव में ही दोनों का अंतिम संस्कार हुआ था। परिवार वालों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था। जबकि तब जेल अधीक्षक रहे उमेश सिंह ने दावा किया था कि विजय और मनोज ने आत्‍महत्‍या की है।

28 जून को जेल अधीक्षक उमेश सिंह का तबादला करके उन्हें केंद्रीय कारागार वाराणसी भेज दिया गया था। वही प्रभारी अधिष्ठान अयोध्या मंडल ने जेल में तैनात दो हेड जेल वार्डर धीरज चौबे और चंद्रशेखर को निलंबित कर दिया था। तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने इस मामले में ज्यूडिशियल जांच बिठाई थी। सीजेएम सपना त्रिपाठी, एसडीएम सदर सीपी पाठक और सीओ सिटी राघवेंद्र चतुर्वेदी जांच कर रहे थे।

पोस्‍टमार्टन के दौरान ही डॉक्‍टरों ने साफ कर दिया था कि दोनों की मौत दो दिन पहले हुई थी। सीजेएम सपना त्रिपाठी ने दो दिसंबर को 24 पन्ने की जांच रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट जज को भेजी है। जांच के दौरान 20 लोगों के बयान दर्ज किए गए। चार विचाराधीन बंदी, एक दोष सिद्ध बंदी, तीन हेड जेल वार्डर, दो जेल वार्डर, मृतक मनोज के माता-पिता, मृतक विजय पासी के भाई और रिश्तेदार, दो जेल प्रभारी महिला, एक उप जेलर महिला, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सुनील और डॉक्टर राम धीरेंद्र और तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह के बयान लिए गए।

पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्टर राम धीरेंद्र ने जांच टीम को बताया कि 22 जून को विजय उर्फ करिया पासी का पोस्‍टमार्टम सुबह 9:30 से 11:30 बजे तक चला। उसके मस्तिष्क, फेफड़े और लीवर कंजस्टेड थे। दाहिनी नाक से खून बह रहा था। आंखें और जननांग सूजे थे। मौत तीन दिन के अंदर की थी। वहीं मनोज रैदास का पोस्‍टमार्टम 11:40 से 1:30 तक चला। उसके शरीर पर चोट मौजूद थी, जो किसी ठोस वस्तु के घर्षण से आई थी। शरीर के ऊपरी अंगों से लेकर निचले अंगों तक में अकड़न थी।

जीभ बाहर थी और मुंह खुला था। उसके नाखून नीले थे। ऐसा नीलापन कोई जहर दिए जाने पर आता है। यही नहीं उसके बाल आसानी से उखड़ नहीं रहे थे। वहीं दूसरे डॉक्टर सुनील की रिपोर्ट में बताया गया कि विजय उर्फ करिया की डेडबॉडी में जगह-जगह स्किन निकल रही थी। बाल उखड़ रहे थे। इस तरह के लक्षण मौत के 2-3 दिन बाद से शुरू होते हैं। मनोज के शरीर पर 13 चोटें थीं।

जांच के दौरान जेल अधीक्षक से 20 जून से लेकर 21 जून के बीच का सीसीटीवी फुटेज मांगा गया तो उन्‍होंने इससे इनकार कर दिया। 30 जून को उन्‍होंने जवाब दिया कि नौ और 10 मई को कैमरे के इंजीनियर ने बताया था कि शार्ट सर्किट से खराब हो गया है। कैमरा बनाने की कार्रवाई की जा रही है। फिर 18 नवंबर को जवाब दिया कि 21 जून की कोई रिकार्डिंग जेल प्रशासन ने उपलब्ध नहीं है।

सीजेएम सपना त्रिपाठी द्वारा की गई जांच में विजय-मनोज को अवसाद से ग्रस्त नहीं पाया गया। जांच में पाया गया कि मृतक मनोज और करिया की मौत के समय और कारण पूर्णतया संदिग्ध है। उनकी मौत 21 जून 2023 के पहले हो चुकी थी लेकिन जेल प्रशासन ने जानबूझकर इसकी सूचना नहीं दी। सीजेएम सपना त्रिपाठी के अनुसार दोनों की पोस्टमॉर्टम से स्पष्ट है कि उन्‍हें किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में उनकी इच्छा के विरुद्ध फांसी पर लटकाया गया। यह मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है। जिसकी पूरी जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है।

सीजेएम की रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि न्‍यायिक जांच ने साबित कर दिया कि जेल में विजय और मनोज की हत्‍या की गई। जेल अधिकारियों पर हत्‍या का मुकदमा दर्ज कर उन्‍हें बर्खास्‍त किया जाना चाहिए।

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि यह रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह के पास पहुंच गई है लेकिन उनके द्वारा जानबूझकर मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने अविलंब हत्या का मुकदमा दर्ज करके सीबीसीआईडी जांच की मांग की है। साथ ही जेल अधीक्षक सहित अन्य जिम्मेदार अफसरों को तत्काल निलंबित किए जाने की भी मांग की है।

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