शिमला। कालका-शिमला फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा करने में हो रही देरी पर प्रदेश हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को परवाणू से ढली तक निर्माण कार्य पूरा करने की टाइम लाइन शपथपत्र के माध्यम से बताने के आदेश दिए। कोर्ट ने इस दौरान हटाए गए अवैध कब्जों और …
शिमला। कालका-शिमला फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा करने में हो रही देरी पर प्रदेश हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को परवाणू से ढली तक निर्माण कार्य पूरा करने की टाइम लाइन शपथपत्र के माध्यम से बताने के आदेश दिए। कोर्ट ने इस दौरान हटाए गए अवैध कब्जों और अतिक्रमणों की जानकारी भी मांगी है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को निर्माण संबंधी ताजा स्टेट्स रिपोर्ट भी पेश करने के आदेश दिए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि परवाणू से कैथलीघाट के बीच सूची में दर्शाए गए अतिक्रमण को कब्जों को हटा दिया गया है और अस्थायी अतिक्रमणों को समय-समय पर हटा दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने एनएचएआई को एनएच-5 के विस्तारीकरण कार्य में तेजी लाने और अवैध कब्जे हटाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने उपायुक्त और एसपी सोलन को आदेश दिए थे कि वह प्राधिकरण को उचित पुलिस सहायता मुहैया करवाए। पिछले आदेशों के तहत हाई कोर्ट ने उपायुक्त सोलन की कार्यशैली पर भी टिप्पणी की थी।
कोर्ट ने कहा था कि वह इस बात से अनभिज्ञ है कि उपायुक्त होने के साथ-साथ वह जिलाधीश भी है। अपने जिला में वह राजस्व विभाग के सर्वोच्च पद पर आसीन है। कोर्ट ने अवैध कब्जों को हटाने के आदेश भी दिए थे, लेकिन उपायुक्त ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निशानदेही के लिए आवेदन करने के निर्देश दे दिए थे। कोर्ट ने उपायुक्त को आदेश दिए थे कि वह निशानदेही के लिए उपयुक्त स्टाफ मुहैया करवाने के आदेश दें। कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में उपायुक्त सोलन ने फोरलेन की निशानदेही भी की थी। मामले पर सुनवाई 14 मार्च को निर्धारित की गई है। गगरेट कस्बे के बहुचर्चित प्रतिबंधित दवा तस्करी प्रकरण के मुख्य आरोपी पार्षद वीरेंद्र बिंदु द्वारा इस प्रकरण में प्रदेश उच्च न्यायालय में लगाई गई जमानत याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। यही नहीं, बल्कि इस प्रकरण में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे तीन और लोगों को भी उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली है। इस मामले की जांच कर रही स्टेट सीआईडी की एसआईटी द्वारा नारकोटिक्स ब्यूरो दिल्ली को आरोपी वीरेंद्र बिंदु की प्रापर्टी सील करने की मांग पर भी तेजी से कार्रवाई जारी है।