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वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के ज़मीन विवाद मामले में सिविल जज के आदेश पर HC ने लगाई रोक

Admin4
9 Sep 2021 1:11 PM GMT
वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के ज़मीन विवाद मामले में सिविल जज के आदेश पर HC ने लगाई रोक
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वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद (Varanasi Gyanvapi Masjid) ज़मीन विवाद मामले में सिविल जज के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने आज रोक लगा दी है. दरअसल ये फैसला उस आदेश पर दिया गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद (Varanasi Gyanvapi Masjid) ज़मीन विवाद मामले में सिविल जज के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने आज रोक लगा दी है. दरअसल ये फैसला उस आदेश पर दिया गया है. जिसमें मस्जिद की जमीन की खुदाई कराकर सर्वेक्षण कराए जाने की बात की गई थी. सिविल जज ने एएसआई से जमीन की खिदाई कराने के आदेश जारी किए थे. हाई कोर्ट ने मस्जिद की खुदाई कर सर्वेक्षण कराने समेत सभी आदेशों पर रोक लगा दी है. इससे मुस्लिम पक्षकारों को फिलहाल राहत मिल गई है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगले आदेश तक ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन की खुदाई और सर्वेक्षण (Survey) नहीं कराया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी पक्षों से 2 हफ्ते में नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा है. जब तक दोबारा जवाब दाखिल नहीं किया जाता तब तक निचली अदालत के फैसले पर रोक जारी रहेगी. यह फैसला जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने सुनाया है.
सिविल जज के आदेश पर HC ने लगाई रोक
बता दें कि 8 अप्रैल 2021 को सुनवाई के दौरान वाराणसी के सीनियर डिवीजन सिविल जज ने सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया था. फैसले में कहा गया था कि एएसआई से मस्जिद की जमीन की खुदाई करवाकर सर्वेक्षण के जरिए सच का पता लगाया जाए. लेकिन कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम पक्षकारों ने असहमति जताई थी. इस फैसले को उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनाती दी थी.
सिविल जज के फैसले को मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की थी. बता दें कि मस्जिद वाली जमीन पर हिंदू समुदाय अपना दावा जता रहा है. उनका कहना है कि मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई गई थी. इलके साथ ही हिंदू समुदाय का कहना है कि उन्हें वहां पूजा करने का हक मिलना चाहिए.
HC के फैसले से मुस्लिम पक्षकारों को राहत
वहीं मुस्लिम पक्षकारों ने दलील देते हुए कहा कि वाराणसी के सीनियर डिवीजन सिविल जज को इस तरह के मामले में सुनवाई का कोई अधिकार ही नहीं है. कानून के हिसाब से 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के दिन से पहले जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं वह वैसे ही बने रहेंगे. मुस्लिम पक्षकार पहले से ही मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट के क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल उठा रहे थे. इसे लेकर मुस्लिम पक्षकारों ने पहले से ही जिला जज कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी. इस मामले पर फैसला सुनाने से पहले ही सिविल जज ने 8 अप्रैल को ASI से सर्वेक्षण कारने का फैसला सुना दिया था. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है.


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