भारत

अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही हाथरस की हींग 20 फीसद तक हुई महंगी

Renuka Sahu
27 Aug 2021 4:24 AM GMT
अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही हाथरस की हींग 20 फीसद तक हुई महंगी
x

फाइल फोटो 

देश ही नहीं दुनियाभर में हाथरस की हींग का कोई जोड़ नहीं है. लेकिन अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के चलते हाथरस की यह हींग 20 फीसद तक महंगी हो गई है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश ही नहीं दुनियाभर में हाथरस (Hathras) की हींग का कोई जोड़ नहीं है. लेकिन अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के चलते हाथरस की यह हींग 20 फीसद तक महंगी हो गई है. हाथरस में हींग बनाने का कच्चा माल सबसे ज्यादा अफगानिस्तान (Afghanistan) से ही आता है. लेकिन वहां तालिबान (Taliban) के आते ही कच्चे माल की सप्लाई चेन टूट गई है. कब अफगानिस्तान के हालात सामान्य होंगे और कब तक हींग के कच्चे माल की सप्लाई पटरी पर आ पाएगी, इन्हीं आशंकाओं के बीच हींग (Asafoetida) के थोक रेट 20 फीसद तक महंगे हो गए हैं. अकेले हाथरस में ही अफगानिस्तान से सालाना 70 से 80 करोड़ रुपये का कच्चा माल आता है.

10 से 12 रुपये किलो तक पहुंच गए हींग के रेट
हाथरस के हींग कारोबारी वैभव बताते हैं, हींग के कारोबार पर लगातार महंगाई की मार पड़ रही है. पहले कोरोना-लॉकडाउन के चलते कच्चे माल की सप्लाई कम हो गई थी. दूसरी ओर कच्चे माल पर इम्पोर्ट डयूटी भी बढ़ाने की बात चल रही थी तो बाजार में कच्चे माल के रेट 8 हजार से 10 हजार रुपये किलो पर पहुंच गए थे.
अब जब से अफगानिस्तान में तालिबान आया है तो फिर से हींग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल रेजिन के रेट बढ़ गए हैं. 10 दिन में ही एक किलो रेजिन पर 2 हजार रुपये तक बढ़ गए हैं. वहीं अभी हींग के और महंगी होने की संभावना बनी हुई है.
अफगानिस्तान के अलावा यहां से भी आता है कच्चा माल
कारोबारी रोहित का कहना है कि वैसे तो हाथरस में हींग का सबसे ज्यादा कच्चा माल अफगानिस्तान से आता है. क्योंकि अफगानिस्तान से आने वाले कच्चे माल पर इम्पोर्ट डयूटी नहीं लगती है. जबकि ईरान, कजाकिस्तान और उजवेकिस्तान से भी कच्चा माल आता है, लेकिन उस पर 27 फीसद इम्पोर्ट डयूटी होने के चलते वो बहुत महंगा पड़ता है. हाथरस के अलावा दिल्ली की खारी बावली भी हींग की बड़ी मंडियों में शामिल है. यहां हींग का सालाना कारोबार 600 करोड़ रुपये का है.
रेजिन (दूध) से ऐसे बनती है हींग
हाथरस निवासी और हींग के जानकार श्याम प्रसाद बताते हैं, ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से रेज़ीन (दूध) आता है. एक पौधे से यह दूध निकलता है. पहले व्यापारी सीधे हाथरस में दूध लेकर आते थे. लेकिन अब दिल्ली का खारी बाबली इलाका बड़ी मंडी बन गया है. लेकिन प्रोसेस का काम आज भी हाथरस में ही होता है. 15 बड़ी और 45 छोटी यूनिट इस काम को कर रही हैं. मैदा के साथ पौधे से निकले ओलियो-गम राल (दूध) को प्रोसेस किया जाता है. कानपुर में भी अब कुछ यूनिट खुल गई हैं. हाथरस में बनी हींग देश के अलावा खाड़ी देश कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन आदि में एक्सपोर्ट होती है.


Next Story