
चंडीगढ़। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 के हरियाणा लोक सेवा (न्यायिक) प्रारंभिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक प्रकरण से संबंधित एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व अधिकारी के खिलाफ तय आरोप खारिज करने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, …
चंडीगढ़। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 के हरियाणा लोक सेवा (न्यायिक) प्रारंभिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक प्रकरण से संबंधित एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व अधिकारी के खिलाफ तय आरोप खारिज करने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, अभियोजन पक्ष के मामले को प्रारंभिक चरण में नहीं छोड़ा जा सकता है। अदालत ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने से ठीक पहले याचिकाकर्ता-अभियुक्त डॉ. बलविंदर कुमार शर्मा के पास था। शर्मा उस समय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (भर्ती) थे। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, ‘मामला बहुत संवेदनशील प्रकृति का है और मामले को साबित करने के लिए जिन सबूतों की आवश्यकता है, वे या तो डिजिटल हैं या दस्तावेजी प्रकृति के हैं।’
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि पुनर्विचार याचिका पर गौर करते समय अदालत का अधिकार क्षेत्र भी बहुत सीमित होता है, और जिस आदेश को चुनौती दी गई है, वह उसमें तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब निचली अदालत के आदेश में कोई गंभीर खामी हो। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘मुझे निचली अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं मिली। इसलिए, लंबित आवेदनों के साथ वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।’ उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ की एक सत्र अदालत के 31 जनवरी, 2020 के आदेश को बरकरार रखा, जिसने आरोपी शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी, लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश और सबूतों को नष्ट करने के कथित अपराधों के लिए आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए थे।
