हरीश पाठक उर्फ हरिदास उर्फ बबलू पाठक उर्फ बकरी वाले बाबा. यही वह शख्स है जो अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट कराई गई जमीन के विवाद के साथ एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. दरअसल 18 मार्च को हरीश पाठक और इनकी पत्नी कुसुम पाठक ने ही रवि तिवारी और सुल्तान अंसारी को अपनी जमीन 2 करोड़ रुपये में बेची थी. जिसको खरीदने के 5 मिनट बाद ही सुल्तान अंसारी और रवि तिवारी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को यह जमीन साढ़े 18 करोड़ में बेच दी. यह पूरा प्रकरण तो आपको पता ही है लेकिन आज हम आपको बताते हैं अलग-अलग उपनामों वाले हरीश पाठक की पूरी कहानी है क्या? इसके पहले यह चर्चा में क्यों रहे थे?
बस्ती जिले के पठकापुर, बेलवा के रहने वाले हरीश पाठक अधिक पढ़े लिखे नहीं हैं. 25 फरवरी 2009 में इन्होंने चंद्र प्रकाश दुबे और प्रताप नारायण के साथ मिलकर साकेत गोट फार्मिंग नाम से एक कंपनी खोली. इसमें लोगों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. ऑफर दिया गया कि एक यूनिट यानि एक बकरी खरीद लीजिये.
उस बकरी से जितना उत्पादन होगा- जैसे कि एक वर्ष में बकरी बच्चे देगी, दूध बिकेगा, जिससे बकरी पर लगाया धन जल्दी ही दो से तीन गुना हो जाएगा. बकरी कंपनी पालेगी और सारी देखभाल और क्रय विक्रय कंपनी करेगी. बस निवेशक को एक या इससे अधिक जितनी इच्छा हो उतनी यूनिट यानि बकरी खरीदनी होगी. बाकी सारी जिम्मेदारी कंपनी की होगी. वह निवेशक को जल्दी ही उसका लगाया पैसा दोगुना या इससे अधिक करके दे देगी.
लगभग 7 साल बाद 2016 में कंपनी को लेकर सवाल उठने लगे और 2019 तक हरीश पाठक पर एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज हो गए. जैसे अयोध्या जनपद के कैंट थाने में दर्ज मुकदमा संख्या 4/9/19 धारा 419, 420 , 467, 468,471. इसी तरह थाने में दर्ज 167/16 धारा 419, 420 , 120B , है. धोखाधड़ी और जालसाजी के इसी मुकदमे में जब यह पुलिस से भागते फिर रहे थे तो पुलिस ने 16 सितंबर 2018 को कुसुम पाठक के घर कुर्की कर दी थी. कई मुकदमों में इनके खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल हो चुकी है. अजब बात तो यह है कि सारे मुकदमे धोखाधड़ी और जालसाजी के ही है.