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30 साल पहले छोड़ दी थी MBBS की पढ़ाई, अब हाई कोर्ट ने लगाई लताड़

jantaserishta.com
17 Feb 2022 2:48 AM GMT
30 साल पहले छोड़ दी थी MBBS की पढ़ाई, अब हाई कोर्ट ने लगाई लताड़
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जानिए पूरा मामला।

नई दिल्ली: 50 साल के कंदीप जोशी ने तीस साल पहले अपनी MBBS की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. लेकिन अब वे फिर कॉलेज जा उस कोर्स को पूरा करना चाहते हैं. गुजरात हाई कोर्ट में उन्होंने याचिका भी दायर की. लेकिन वहां से उन्हें राहत के बजाय फटकार मिल गई है. कोर्ट ने उन्हें फिर MBBS की पढ़ाई करने की इजाजत नहीं दी है.

कोर्ट ने साफ कहा है कि आपको दूसरों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं दिया जा सकता है. न्यायमूर्ति भार्गव डी करिया ने कहा है कि अगर हम मान भी लें कि दोबारा दाखिला करने के लिए कोई नियम नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम आपको इजाजत नहीं दे सकते. आप अपने मन मुताबिक कोई भी फैसला नहीं ले सकते हैं. लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का किसी को हक नहीं.
अब न्यायमूर्ति भार्गव डी करिया सिर्फ यहीं नहीं रुके. उन्होंने अपने फैसले में आगे कहा कि वे अपना समय क्यों बर्बाद करना चाहते हैं. उन्हें ऐसा करके क्या मिलने वाला है. क्या वे सोच रहे हैं कि 50 की उम्र में दोबारा इंटर्नशिप कर लेंगे. ये नहीं हो सकता है. कितने बच्चे हैं इनके. 50 की उम्र में तो इनके बच्चे अभी MBBS कोर्स करने के लायक हो गए होंगे. क्या वे अपने बच्चों के साथ इस कोर्स को पढ़ने की तैयारी कर रहे हैं.
कोर्ट ने यहां तक कहा है कि अगर याचिकाकर्ता अब परीक्षा देने के बारे में विचार करेंगे, तो वे फेल ही होने वाले हैं क्योंकि इतने सालों बाद वे अब एक नया कोर्स पढ़ेंगे. कोर्ट ने ये भी दलील दी है कि पिछले तीस साल में MBBS की पढ़ाई काफी ज्यादा बदल चुकी है. जिस कॉलेज से याचिकाकर्ता फिर पढ़ना चाहते हैं, वहां का पैटर्न भी पूरी तरह बदल चुका है.
वैसे याचिकाकर्ता इससे पहले साल 2013 में अपने उस कॉलेज गए थे जहां पर उन्होंने MBBS का कोर्स बीच में छोड़ दिया था. लेकिन तब उन्हें फिर एडमिशन की इजाजत नहीं दी गई जिसके बाद उन्होंने 2019 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी और उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया. तब कोर्ट ने इतना जरूर कहा था कि याचिकाकर्ता MCI जा सकते हैं. लेकिन MCI में भी उन्हें कोई राहत नहीं दी गई. कहा गया कि सिर्फ पांच साल के अंदर ही रीएडमिशन हो सकता है. ऐसे में वे क्राइटेरिया को पूरा नहीं करते हैं.
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