ज्ञानवापी: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने रोका, भारी फोर्स तैनात, कही बड़ी बात
नई दिल्ली: ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की परिक्रमा करने जा रहे ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने आश्रम की गेट पर रोक लिया. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुलिस से पूछा आप सनातन का कार्य करने से क्यों रोक रहे हैं. वाराणसी पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर शंकराचार्य को …
नई दिल्ली: ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की परिक्रमा करने जा रहे ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने आश्रम की गेट पर रोक लिया. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुलिस से पूछा आप सनातन का कार्य करने से क्यों रोक रहे हैं. वाराणसी पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर शंकराचार्य को जाने से रोका है. उन्होंने लिखित परमिशन के लिए कहा है. कहा लिखित परमिशन
इसके बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने लिखित परमिशन के लिए आवेदन किया है. परमिशन न मिलने पर आगे लड़ाई जारी रखने की बात शंकराचार्य ने कही है.
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ASI की रिपोर्ट सामने आ गई है. जीपीआर सर्वे पर ASI ने कहा है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था. ASI की सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है. बताया गया है कि 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं. एएसआई की रिपोर्ट कहती है कि हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया.
उधर, काशी के ज्ञानवापी पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है कि अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद और काशी के ज्ञानवापी विवाद के बीच काफी कुछ सामान्य है. जिस तरह से ASI की सर्वे रिपोर्ट ने अयोध्या विवाद के मुकदमे में अहम रोल अदा किया. उसी तरह ज्ञानवापी मामले में भी होगा.
आचार्य सत्येंद्र दास कहा था कि दोनों मामले एक जैसे ही हैं. सर्वेक्षण में ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं. कोर्ट ने मंदिर मिलने के साक्ष्यों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. जिससे यह साबित हो गया है कि वहां पर मंदिर था. इसलिए कोर्ट को चाहिए कि इन सबूतों के बाद ज्ञानवापी में मंदिर का निर्माण हो. जैसे पहले हिंदू वहां पर पूजा पाठ करते थे. उसी तरह से पूजा शुरू हो. क्योंकि जो सबूत ASI को मिले हैं उसे किसी भी तरह से नकार नहीं जा सकता है.