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गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन

jantaserishta.com
31 March 2022 2:50 AM GMT
गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
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जयपुर: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण के पुरोधा कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला का निधन हो गया है। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पिछले दिनों ही उन्होंने अपने बेटे विजय बैंसला को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की कमान सौंप दी थी। किरोड़ी सिंह बैंसला सेना में कर्नल थे। सेवानिवृत्त होने के बाद बैंसला ने राजनीति में प्रवेश किया। बैंसला भाजपा के टिकट पर टोंक- सवाई माधोपुर लोकसभा से सीट से चुनाल लड़े लेकिन बहुत कम मतों से कांग्रेस के नमोनारायण मीणा से चुनाव हार गए थे। गुजरों के एसटी में शामिल कराने के मांग को लेकर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में साल 2008 में हुए गुर्जर आऱक्षण में 70 मौतें हो गई। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राजस्थान के गुर्जरों के लिए अलग से एमबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत गुर्जरों को सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण दिलाने में कामयाब रहे। पहले राजस्थान के गुर्जर ओबीसी में थे, लेकिन बैंसला के दबाव में सरकार को एमबीसी में गुर्जरों को शामिल करना पड़ा।

गुर्जर आंदोलन का बड़ा फायदा किरोड़ी सिंह बैंसला को मिला। राजस्थान की राजनीति में बैंसला कद्दावर नेता के रूप में उभरे। भाजपा ने टोंक- सवाईमाधोपुर लोससभा सीट से कर्नर किरोड़ी सिंह बैंसला को टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी नमोनारायण मीणा से 317 वोटों से चुनाव हार गए थे। इसके बाद कर्नल बैंसला ने कुछ दिनों बाद ही भाजपा छोड़ दी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक बार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भाजपा शामिल हो गए थे। साल 2008 में राजस्थान में गुर्जर आंदोलन चरम पर था। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। गुर्जरों ने आरक्षण की मांग को लेकर रेल की पटरियां उखाड़ दी थी। जिसकी वजह से संपूर्ण उत्तर भारत रेल मार्ग से कट गया था। विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामन करन पड़ा था।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने गहलोत सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए एक बार फिर से आंदोलन की धमकी दी थी। धमकी के बाद गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई। संघर्ष समिति की मांगे स्वीकार कर ली गई। गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण के दौरान मारे गए 3 लोगों को 5 लाख का मुआवजा और परिजनों को सरकारी नौकार दी। सरकार ने कहा कि गुर्जर आंदोलन के समय 2011 में हुए समझौते का पालन किया जाएगा।

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