गुजरात विधानसभा चुनाव: रणनीति तैयार करने में जुटे है राजनीतिक दल
गुजरात। गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले सभी राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से तैयारियों में जुटे हैं. हालांकि यह बात और है कि अभी तक गुजरात विधानसभा के चुनावों की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है. इस बीच हम आपको आज सूरत शहर की 12 विधानसभाओं में से एक वराछा विधानसभा क्षेत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जहां से भाजपा के मौजूदा विधायक किशोर भाई कानानी है. किशोर भाई कानानी गुजरात सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
सूरत शहर की वराछा विधानसभा सन 2008 में हुए विधानसभा क्षेत्र सीमांकन के बाद अस्तित्व में आई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा ने पाटीदार समाज से आने वाले किशोर भाई कानानी को चुनावी मैदान में उतारा था. भाजपा के किशोर भाई कानानी को 68472 वोट मिले थे जबकि पाटीदार समाज से ही आने वाले कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को 54474 वोट मिले थे. भाजपा के किशोर भाई कानानी ने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को हराकर अपनी जीत दर्ज करवाई थी. इसी तरह सन 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के किशोर भाई कानानी ने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को हरा कर अपनी जीत दर्ज की थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के किशोर भाई कानानी को 68529 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को 48170 वोट मिले थे. कुल मिलाकर सूरत की वराछा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जा रही है यही वजह है यहां से भाजपा जीतती आ रही है.
सूरत लोकसभा क्षेत्र में आने वाली वराछा विधानसभा क्षेत्र में अत्यधिक लोग सौराष्ट्र से आने वाले पाटीदार समाज के लोग रहते हैं. इस क्षेत्र का बाहुल्य पाटीदार समाज अभी तक विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में ही मतदान करता रहा है. यही वजह है वराछा विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद दोनों ही बार भाजपा के प्रत्याशी की जीत हुई है. 2015 में हार्दिक पटेल की अगुवाई में गुजरात में शुरू हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान इस क्षेत्र के भाजपा समर्थकों को काफी कुछ कठिनाइयों से गुजरना पड़ा था. खुद भाजपा विधायक किशोर भाई कानानी को आंदोलन के दौरान भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान तत्कालीन सरकार के खिलाफ शुरू हुए विरोध के स्वर को देखकर यह कयास लगाए जा रहे थे कि वराछा विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा नहीं जीत पाएगी. लेकिन वह कयास सिर्फ कयास बनकर रह गए और यहां के पाटीदार मतदाताओं ने भाजपा का ही साथ दिया नतीजा किशोर भाई कानानी की भारी मतों से जीत हुई थी.2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लग रहा था की पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उसको पाटीदार बाहुल्य इलाकों में फायदा हो सकता है और उसके कई कैंडिडेट जीत सकते हैं लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के किशोर भाई कानानी ने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा से 20 हज़ार 359 वोटों से जीत हासिल की थी वहीं 2017 के चुनाव में 13 हज़ार 998 वोटों से जीत हासिल की थी.
सूरत की वराछा विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले अत्यधिक मतदाता मूलतः सौराष्ट्र से है जो लेवा पाटीदार समाज से आते हैं.क्षेत्र में रहने वाले मतदाता मिडल क्लास और हाई क्लास से ताल्लुक रखते हैं.डायमंड और टेक्सटाइल के कारोबार से जुड़े है. कुल मिलाकर यहां के मतदाता आर्थिक रूप से मजबूत है. सूरत महानगर पालिका के अंतर्गत आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं हैं.इस लिहाज से विपक्ष के लिए कोई चुनावी मुद्दा नहीं बचता है लेकिन बावजूद इसके जब भी चुनाव आता है तो विपक्षी पार्टियां कुछ ऐसे मुद्दों को बनाने में लग जाती है.वराछा विधानसभा क्षेत्र से हमेशा ही एक सरकारी कॉलेज की मांग उठती रही है.जिसे इस बार गुजरात सरकार ने मंजूरी दी है लेकिन फिलहाल यह कॉलेज कहां बनेगी कब बनेगी इस बात का कोई जिक्र नहीं हुआ है. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का असर इस विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला था और उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा प्रत्याशी किशोर भाई कानानी हार का सामना कर सकते हैं लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ.
सूरत की वराछा विधानसभा क्षेत्र में 2022 की वोटर लिस्ट के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख16 हजार 528 है जिसमें से 80% मतदाता लेवा पटेल समाज से आते हैं. 1 लाख 21 हज़ार 480 पुरुष मतदाता है जबकि 95042 महिला मतदाता है अन्य से मतदाताओं को मिलाकर जनसंख्या 216528 तक पहुंचती है.
2008 के नए सीमांकन के बाद अस्तित्व में आई वराछा विधानसभा क्षेत्र के लिए पहली बार 2012 में विधानसभा चुनाव हुए थे.इस चुनाव में भाजपा के किशोर भाई कानानी ने पहली बार जीत दर्ज की थी जबकि दूसरी बार भी भाजपा ने उन्हीं के नाम पर चुनावी दांव खेला था तो किशोर भाई कानानी 2017 के चुनाव में भी जीत हुई थी.अब तीसरी बार 2022 के विधानसभा चुनाव में किशोर भाई कानानी के नाम पर चुनावी दांव खेलेगी या नहीं नहीं कहा जा सकता है लेकिन जिस तरह से अब तक इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के लिए सुखद परिणाम रहे हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है एक बार फिर से इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की जीत पक्की है. इसका एक मुख्य कारण यह भी है क्योंकि जिस तरह से 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदार समाज नाराज ही कहा जा रहा था लेकिन बावजूद भी पाटीदार समाज ने भाजपा को वोट कर यह साबित कर दिया था कि वह भाजपा के साथ है.2022 के विधानसभा चुनाव में अब तो ना कोई पाटीदार आरक्षण आंदोलन रहा है और ना ही इस विधानसभा क्षेत्र से ऐसे कोई चुनावी मुद्दे हैं जिन्हें विपक्ष बनाकर अपनी तरफ मतदाताओं को आकर्षित कर सकेगा.