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उनका घर पिछले एक महीने से मालिक के लिए गर्व और देखने वालों के लिए ईर्ष्या का विषय बना हुआ है।
लखनऊ: उनका घर पिछले एक महीने से मालिक के लिए गर्व और देखने वालों के लिए ईर्ष्या का विषय बना हुआ है। जब टमाटर 250 रुपये प्रति किलो बिक रहे थे, तब वी.के. पांडेय खुद के उगाये टमाटर खा रहे थे।
गोमती नगर में उनके तीन मंजिला घर में उनका किचन गार्डन टमाटरों से भरा हुआ है और पांडे उदारतापूर्वक अपने पड़ोसियों को भी टमाटर खिला रहे हैं। वह गर्व से कहते हैं, ''नवंबर से मैंने लगभग 250 किलोग्राम टमाटर उगाए हैं और मैंने उन्हें अपने दोस्तों और पड़ोसियों में बांटे हैं।''
एक कीटनाशक कंपनी में काम करने वाले पांडे ने 1992 में 25 गमलों से शौकिया खेती शुरू की थी। पिछले 31 साल में उनके छत के बगीचे का विस्तार पड़ोसी की छत तक हो गया है और यहां तक कि पड़ोस के पार्क तक में नींबू, अंगूर, अनार, संतरे, सेब, केले और बड़ी संख्या में आम के पेड़ भी उन्होंने लगाये हैं। वह लौकी, बैंगन, पपीता, एलोवेरा, बरगद, पीपल और भी बहुत कुछ उगाते हैं।
वह ग्रो बैग्स, खाली ड्रमों और फूलों के गमलों में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों और औषधीय प्रजातियों सहित लगभग 1,000 पौधों का पालन-पोषण करते हैं। हालांकि पांडेय एक कीटनाशक कंपनी में काम करते हैं, लेकिन वह ऑर्गेनकि फसलें उगाते हैं।
वह तालाब और खेत की मिट्टी को गाय के गोबर के साथ मिलाकर विशिष्ट मिट्टी तैयार करते हैं। गर्मियों में दिन में दो बार और सर्दियों में एक बार पानी देते हैं। रखरखाव पर उन्हें अपनी जेब से प्रति माह 12,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने पौधों को नियमित रूप से पानी देने के लिए एक व्यक्ति को काम पर रखा है। उनके बगीचे में बहुत सारे पक्षी आते हैं। कुछ उत्पाती बंदर भी आते हैं, लेकिन पड़ोसियों को इससे शिकायत नहीं है क्योंकि वे हर सुबह अपने दरवाजे पर आने वाली खेत की ताजा सब्जियों की टोकरी का इंतजार करते हैं।
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