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किसानों के पक्ष में गवर्नर सत्यपाल मलिक ऐक्टिव...बीच का रास्ता निकाल कर सकते है बीजेपी की सबसे बड़ी टेंशन दूर
jantaserishta.com
19 March 2021 4:30 AM GMT
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फाइल फोटो
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को 113 दिन से ऊपर हो रहा है। सरकार और किसानों के बीच अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। इस मुद्दे पर इन दिनों मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ऐक्टिव हो गए हैं और लगातार किसानों को लेकर सरकार को चुनौती दे रहे हैं।किसान नेता भी चाहते हैं कि सरकार की ओर बातचीत की मौजूदा टीम में सत्यपाल मलिक को शामिल किया जाए। पश्चिम यूपी के किसान बीजेपी से खासे नाराज चल रहे हैं अब अगर मलिक किसानों से मध्यस्थता कर बीच का रास्ता निकालते हैं तो सरकार की सबसे बड़ी टेंशन दूर हो सकती है।
किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार को चेतावनी देने वाले सत्यपाल मलिक ने कहा कि वह विवादित कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का जल्द समाधान निकालने के लिए 'अनौपचारिक' रूप से आंदोलनकारी किसानों और सरकार से बात कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के भीतर इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि जल्द से जल्द इस मसले का हल निकलना चाहिए।
टिकैत की मांग- मलिक को बातचीत में किया जाए शामिल
मलिक ने एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि किसानों के मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए, वरना इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ेगा। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि वह बातचीत तत्काल शुरू करे और इसके लिए मौजूदा टीम में बदलाव करे।
बीजेपी सरकार के लिए मददगार साबित हो सकते हैं मलिक
राकेश टिकैत ने सरकार से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और जेडीयू नेता केसी त्यागी को सरकार की टीम शामिल करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अगर ये लोग मध्यस्थता करेंगे तो न सिर्फ बातचीत का रास्ता खुल सकता है ,बल्कि समाधान का रास्ता भी निकल सकता है। अभी तक सरकार ने टिकैत के इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन सत्यपाल मलिक इस पहल में बीजेपी के लिए मददगार हो सकते हैं।
बागपत में जन्म, जाट नेता, बेहतरीन वक्ता हैं मलिक
सत्यपाल मलिक पश्चिम यूपी के बागपत जिले से आते हैं और जाट नेता हैं। ऐसे में किसानों के बीच सरकार की बात रखने और मध्यस्थता कराने में वह सफल हो सकते हैं। 24 जुलाई 1946 को बागपत के हिसावदा गांव के किसान परिवार में जन्में सत्यपाल मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह बेहतरीन वक्ता के तौर पर मशहूर रहे हैं और राजनीति में हवा का रुख समझने में भी माहिर माने जाते हैं। कॉलेज में उनके भाषणों की अक्सर चर्चा रहती थी।
कांग्रेस और सपा में भी रह चुके हैं मलिक
समाजवादी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले सत्यपाल मलिक को 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था। इसके पीछे उनकी सेक्युलर छवि भी एक वजह थी। सत्यपाल मलिक कांग्रेस जनता दल, समाजवादी का हिस्सा रह चुके हैं। 2004 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2009 में बीजेपी का किसान मोर्चा का प्रभारी बनाया गया था।
नवंबर से जारी है किसान आंदोलन
बता दें कि दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डरों पर सैकड़ों किसान नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस ले और एक ऐसा कानून बनाए जिसमें एमएसपी की गारंटी दी गई हो। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के फायदे के लिए हैं।
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