राज्यपाल मिश्र ने ब्रह्मलीन गौसेवी संत कुलरिया की स्मृति में निर्मित प्रेरणालय 'पदम स्मारक' डिजिटल लाइब्रेरी
जयपुर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि वही शिक्षा सार्थक है जो लैंगिक विषमताओं को दूर करने वाली हो। उन्होंने कहा कि वही समाज तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ता है, जहां बालिकाओं को शिक्षा के अधिकाधिक अवसर मिलते हैं। उन्होंने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस दौर में उत्कृष्ट पुस्तकों …
जयपुर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि वही शिक्षा सार्थक है जो लैंगिक विषमताओं को दूर करने वाली हो। उन्होंने कहा कि वही समाज तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ता है, जहां बालिकाओं को शिक्षा के अधिकाधिक अवसर मिलते हैं। उन्होंने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस दौर में उत्कृष्ट पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन के लिए वृहद स्तर पर कार्य करने और डिजिटल पुस्तकालयों को जन—जन के लिए उपयोगी किए जाने का भी आह्वान किया है।
श्री मिश्र ने सोमवार को ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की पुण्य स्मृति में बीकानेर के नोखा में निर्मित प्रेरणालय 'पदम स्मारक', नवनिर्मित डिजिटल लाइब्रेरी, संग्रहालय, प्रतिमा लोकार्पण और बालिका विद्यालय शिलान्यास समारोह में जयपुर से वर्चुअल जुड़ते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपने लिए तो सभी कुछ करते हैं परन्तु जीवन की सार्थकता इसमें है कि हम समाज के लिए समर्पण भाव रखते हुए कार्य करें। उन्होंने संत कुलरिया की स्मृति में किए जा रहे समाज सेवा प्रकल्पों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हम महिला—पुरुष बराबरी की बात तो करते हैं परंतु जब तक महिलाओं को शिक्षित होने के अधिकाधिक अवसर नहीं मिलेंगे वे पुरूषों की बराबरी पर नहीं आ सकेंगी। उन्होंने केन्द्र सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को इस दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया।
श्री मिश्र ने पदम स्मारक के अंतर्गत डिजिटल लाइब्रेरी और संग्रहालय की स्थापना को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जीवन को गढ़़ने वाली पुस्तकों का डिजिटल रूप यदि डिजिटल लाइब्रेरी में संग्रहित किया जाता है तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा उपहार होगा। उन्होंने कहा कि किताबें कभी नष्ट नहीं होती। किंडल और अन्य रूपों में किताबें फिर से लोकप्रिय हो रही हैं। उन्होंने बालिका विद्यालय को समय संदर्भों में भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करते हुए समाज में बालिका शिक्षा के लिए प्रभावी वातावरण निर्माण की भी आवश्यकता व्यक्त की।