मणिपाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने विद्यार्थियों को डिग्री और पदक प्रदान
जयपुर । राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने शनिवार को मणिपाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक, खेल और अन्य क्षेत्रों उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को डिग्री, पदक और चेक प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत विद्यार्थी जीवन में प्राप्त होने वाली शिक्षा का अंत नहीं बल्कि विद्यार्थी का नव जीवन मे प्रवेश है। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा अर्जित शिक्षा का राष्ट्र और समाज के हित में उपयोग करने का भी आह्वान किया।
राज्यपाल श्री मिश्र ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो निरंतर अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करे और विद्यार्थी के चरित्र का निर्माण करे। उन्होंने श्क्षिकों को नई शिक्षा नीति के आलोक में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा वही सार्थक है जो विद्यार्थियों को जीवन को गढ़े। उन्हें व्यक्ति से मनुष्य बनाने की ओर अग्रसर करे।
श्री मिश्र ने विद्यार्थियों को जीवन के उदात्त मूल्यों का आचरण करने और केवल अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी सार्थक कुछ करने का सदा भाव रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होने मणिपाल विश्वविद्यालय के आचार्यों से आग्रह किया कि वे जिस किसी भी विषय में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करे, इस तरह से शिक्षा का उनमें प्रसार करे कि वह उनके जीवन पर्यन्त काम आए। उन्होने विद्यर्थियों को सदा जिज्ञासु बने रहने और ऐसी मनःस्थिति विकसित करने का आह्वान किया जिससे वे चुनौतियों को विकास के अवसर के रूप में बदल सके।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में कौशल प्रशिक्षण के लिए अधिकधिक अवसर सृजित करने, उन्हें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित होकर कार्य करने और खुली आंखों से सपने देखने और निंतर उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करने के लिए आह्वान किया।
इससे पहले राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। उन्होंने संविधान प्रदत्त अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों की पालना के लिए भी निंरतर सजग रहने की आवश्यकता जताई। मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर के चैयरपर्सन—एमेरिट्स डॉ. रामदास एम पाई, चेयरपर्सन श्री एस. वैथीस्वरन जी, प्रेसिडेंट डॉ. जी.के. प्रभु ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शैक्षिक परम्परा और विभिन्न अनुशासनों में प्रदान की जा रही शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।जयपुर, 2 दिसम्बर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने शनिवार को मणिपाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक, खेल और अन्य क्षेत्रों उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को डिग्री, पदक और चेक प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत विद्यार्थी जीवन में प्राप्त होने वाली शिक्षा का अंत नहीं बल्कि विद्यार्थी का नव जीवन मे प्रवेश है। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा अर्जित शिक्षा का राष्ट्र और समाज के हित में उपयोग करने का भी आह्वान किया।
राज्यपाल श्री मिश्र ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो निरंतर अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करे और विद्यार्थी के चरित्र का निर्माण करे। उन्होंने श्क्षिकों को नई शिक्षा नीति के आलोक में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा वही सार्थक है जो विद्यार्थियों को जीवन को गढ़े। उन्हें व्यक्ति से मनुष्य बनाने की ओर अग्रसर करे।
श्री मिश्र ने विद्यार्थियों को जीवन के उदात्त मूल्यों का आचरण करने और केवल अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी सार्थक कुछ करने का सदा भाव रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होने मणिपाल विश्वविद्यालय के आचार्यों से आग्रह किया कि वे जिस किसी भी विषय में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करे, इस तरह से शिक्षा का उनमें प्रसार करे कि वह उनके जीवन पर्यन्त काम आए। उन्होने विद्यर्थियों को सदा जिज्ञासु बने रहने और ऐसी मनःस्थिति विकसित करने का आह्वान किया जिससे वे चुनौतियों को विकास के अवसर के रूप में बदल सके।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में कौशल प्रशिक्षण के लिए अधिकधिक अवसर सृजित करने, उन्हें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित होकर कार्य करने और खुली आंखों से सपने देखने और निंतर उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करने के लिए आह्वान किया।
इससे पहले राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। उन्होंने संविधान प्रदत्त अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों की पालना के लिए भी निंरतर सजग रहने की आवश्यकता जताई। मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर के चैयरपर्सन—एमेरिट्स डॉ. रामदास एम पाई, चेयरपर्सन श्री एस. वैथीस्वरन जी, प्रेसिडेंट डॉ. जी.के. प्रभु ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शैक्षिक परम्परा और विभिन्न अनुशासनों में प्रदान की जा रही शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।