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चक्रवाती तूफान से अलर्ट कर बचाव के उपाय बताएगा सरकार का नया मोबाइल ऐप, IMD ने दी पूरी जानकारी

Deepa Sahu
29 Sep 2021 3:07 PM GMT
चक्रवाती तूफान से अलर्ट कर बचाव के उपाय बताएगा सरकार का नया मोबाइल ऐप, IMD ने दी पूरी जानकारी
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चक्रवाती तूफान ‘गुलाब’

चक्रवाती तूफान 'गुलाब' (Gulab Cyclone) का कहर अभी पूरी तरह थमा भी नहीं है कि एक नए साइक्लोन 'शाहीन' (Shaheen Cyclone) के आने की आशंका जताई जा रही है. अरब सागर (Arabian Sea) में 'शाहीन' नाम का चक्रवाती तूफान तैयार होने वाला है. तबाही मचाने वाले ऐसे चक्रवाती तूफानों से अलर्ट करने और उससे बचाव के बारे में बताने वाला एक मोबाइल तैयार किया जा रहा है.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) मिलकर एक ऐप तैयार कर रहे हैं, जो आम लोगों, आपदा प्रबंधकों आदि को चक्रवात से जुड़ी सूचनाएं और उससे बचाव की गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी पहुंचाएगा. इस बारे में आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने पूरी जानकारी दी है.
कैसे काम करेगा मोबाइल ऐप, क्या है मकसद?
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने समाचार एजेंसी PTI-भाषा को बताया कि यह वेब आधारित ऐप होगा जो डायनेमिक कंपोजिट रिस्क एटलस पर आधारित होगा. इस मोबाइल ऐप का मकसद चक्रवात की चेतावनी से जुड़ी नवीनतम सूचनाएं उपलब्ध कराना है.
डायनेमिक कंपोजिट रिस्क एटलस के बारे में उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा मानचित्र है जिसमें भूस्थैतिक एवं जनसंख्या संबंधी आंकड़ों के आधार पर तटीय भूभाग पर चक्रवात संभावित क्षेत्रों को दर्शाया जाता है ताकि आधारभूत ढांचे, आर्थिक और अन्य नुकसान से बचा जा सके. बता दें कि चक्रवाती तूफान गुलाब के कारण इस सप्ताह महाराष्ट्र में जानमाल के काफी नुकसान की खबरें आई हैं. इसमें अब तक 17 लोगों के मारे जाने की खबर हैं.
ऐप पर चल रहा है काम
मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस ऐप पर काम चल रहा है. यह मोबाइल ऐप पहले से मौसम संबंधी जानकारी देने वाले अन्य माध्यमों के अलावा चक्रवात पर विशिष्ट रूप से केंद्रित होगा.
बता दें कि भारत मौसम विज्ञान विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राष्ट्रीय चक्रवात शमन परियोजना के तहत चक्रवात संभावित तटीय राज्यों में उपयोग के लिये डायनेमिक कंपोजिट रिस्क एटलस प्रणाली विकसित की है.
मंत्रालय ने रिपोर्ट में दी है कई अहम जानकारियां
चक्रवातीय घटनाओं पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रकाशित जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन संबंधी नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसवीं सदी के मध्य (1951-2018) से उत्तरी हिंद महासागर में उष्णदेशीय चक्रवात की वार्षिक आवृति में कमी आई है. इसके विपरीत पिछले दो दशकों में मानसून के बाद अति प्रचंड चक्रवाती तूफान की संख्या में अधिक वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार, ''जलवायु मॉडलों में 21वीं सदी के दौरान उत्तरी हिंद महासागर घाटी में उष्णदेशीय चक्रवातों की आवृत्ति में वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है.''
हर साल औसतन 72 लोगों की जान ले रहा साइक्लोन
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में अरब सागर में 5, बंगाल की खाड़ी में 3 चक्रवाती तूफान आए जिसमें से छह प्रचंड तूफान की श्रेणी के थे. वर्ष 2020 में अरब सागर में 2, बंगाल की खाड़ी में 2 और उत्तरी हिंद महसागर में एक चक्रवाती तूफान आया, जिसमें से पांच प्रचंड चक्रवात की श्रेणी के थे. जून 2021 तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में प्रचंड चक्रवात की श्रेणी के एक-एक तूफान आए.
इन आंकड़ों के अनुसार, साल 2010 से लेकर अब तक पिछले साढ़े 11 वर्ष में 748 लोगों की चक्रवात के कारण मृत्यु हुई है. इस प्रकार से हर साल चक्रवात के कारण औसतन 72 लोगों की मौत हो रही है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि चक्रवात पूर्वानुमान कौशल में सुधार से हाल के वर्षो में जनहानि में कमी आई है.
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