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सरकार का फैसला, भारत में फंसे विदेशियों के वीजा अब 31 अगस्त तक वैध

Apurva Srivastav
4 Jun 2021 6:08 PM GMT
सरकार का फैसला, भारत में फंसे विदेशियों के वीजा अब 31 अगस्त तक वैध
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कोरोना महामारी के कारण भारत में फंसे विदेशी नागरिकों के वीजा की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है।

कोरोना महामारी के कारण भारत में फंसे विदेशी नागरिकों के वीजा की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। सरकार इसके लिए कोई पेनाल्टी नहीं वसूलेगी। लाकडाउन के कारण विदेशी नागरिकों को भारत में अपना वीजा बढ़ाने में आ रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गत वर्ष 29 जून को 30 जून, 2020 के बाद समाप्त होने वाले भारतीय वीजा या देश में ठहरने की अवधि को सामान्य अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के फिर से शुरू होने की तारीख से लेकर अगले 30 और दिनों तक नि:शुल्क आधार पर वैध कर दिया था।

हालांकि, ये विदेशी नागरिक अपने वीजा या देश में ठहरने की अवधि को बढ़ाने के लिए हर माह आवेदन करते रहे हैं। सामान्य वाणिज्यिक उड़ानों का संचालन अब तक सामान्य न हो पाने के कारण इस मामले पर गृह मंत्रालय ने फिर से विचार किया गया है, और यह निर्णय लिया गया है कि भारत में फंसे इन विदेशी नागरिकों के भारतीय वीजा या देश में ठहरने की अवधि को अब 31 अगस्त 2021 तक बिना किसी ओवरस्टे पेनाल्टी के ही नि:शुल्क आधार पर वैध माना जाएगा।
इन विदेशी नागरिकों को अपने वीजा के विस्तार के लिए संबंधित एफआरआरओ या एफआरओ में कोई आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों को छोड़कर पूरे भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप तेजी से कम हो रहा है। देश में बीते 24 घंटे के दौरान सिर्फ पांच राज्यों में ही 10 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं। इनमें से तमिलनाडु में करीब 25 हजार मामले मिले हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक बंगाल और ओडिशा में आठ-आठ हजार और देश के अन्य राज्यों में नए मामलों की संख्या पांच हजार से भी कम है। पिछले 22 दिनों से प्रतिदिन नए मरीजों से ज्यादा लोग ठीक हो रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 1.32 लाख नए मरीज मिले हैं जबकि 2.07 लाख लोग स्वस्थ हुए हैं। लगातार 11 दिनों से दैनिक संक्रमण दर भी 10 फीसद से नीचे बनी हुई है। रोजाना होने वाली मौतों की संख्या भी तीन हजार से कम है।


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