भारत
अनाथ बच्चों को सरकार का आशीर्वाद... हर महीने मिलेगा 2500 रुपये, नि:शुल्क शिक्षा, चिकित्सा और पक्का मकान
Deepa Sahu
20 Jun 2021 2:00 PM GMT
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कोरोना महामारी ने देश के बहुत सारे बच्चों को अनाथ कर दिया है.
कोरोना महामारी ने देश के बहुत सारे बच्चों को अनाथ कर दिया है. इन बच्चों के पालन-पोषण के लिए सरकारें अपने स्तर से प्रयासरत हैं. केंद्र की ओर से राज्यों को ऐसे बच्चों पर ध्यान देने, उनका ख्याल रखने और संरक्षण की व्यवस्था करने को कहा गया था. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीएम केयर्स फंड से केंद्र सरकार द्वारा उनकी जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की है. इसके तहत मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा, मासिक भत्ता और बड़े होने पर एकमुश्त 10 लाख की मदद तक का ऐलान किया है.
इधर राज्य सरकारें भी अपने स्तर से योजनाएं ला रही हैं. बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के बाद अब ओडिशा सरकार ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार को ऐसे सभी बच्चों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए एक योजना शुरू की है? जिन्होंने किसी भी वजह से अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि अप्रैल 2020 से लागू 'आशीर्वाद' योजना के लाभार्थियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है.
पहला: वे बच्चे, जो अनाथ हो गए हैं.
दूसरा: वे बच्चे, जिन्हें बाल गृह जाना पड़ा है.
तीसरा: वे बच्चे, जिन्होंने अपने माता-पिता में से कमाने वाले सदस्य को खो दिया.
हर महीने 2,500 रुपये भत्ता
इस योजना के तहत सरकार हर उस बच्चे को प्रति महीने 2,500 रुपये देगी जिसने अपने माता-पिता में से किसी एक या दोनों को खो दिया है. यह धनराशि लाभार्थियों के संरक्षक या देखभाल करने वाले के बैंक खाते में भेजी जाएगी जब तक कि वे 18 साल के नहीं हो जाते. अगर देखभाल करने वाले किसी व्यक्ति के न होने पर ऐसे बच्चों को बाल गृह भेजा जाता है तो उन्हें हर महीने 1,000 रुपये अतिरक्त दिए जाएंगे.
इसी तरह जिन बच्चों के माता-पिता में से कमाने वाले सदस्य की मौत हो गई है तो उन्हें 1,500 रुपये दिए जाएंगे. अगर उनकी माताएं ओडिशा सरकार की मधु बाबू पेंशन योजना के योग्य हैं तो उन्हें प्राथमिकता के आधार पर भत्ते दिए जाएंगे.
नि:शुल्क शिक्षा, चिकित्सा और खाद्य
ऐसे सभी बच्चे केंद्र और राज्य सरकार की खाद्य योजनाओं और बीजद सरकार की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना के तहत नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएं ले सकेंगे. राज्य सरकार स्कूलों में उनकी शिक्षा की भी व्यवस्था कराएगी. अगर जरूरत पड़ी तो आदर्श विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में ऐसे बच्चों के दाखिले के लिए व्यवस्था की जाएगी. उन्हें राज्य की 'ग्रीन पैसेज' योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए मदद मिलेगी.
बच्चों की देखभाल करने वालों को पक्का मकान भी
राज्य सरकार ने ऐसे बच्चों के संरक्षकों और देखभाल करने वाले लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत पक्का मकान देने का भी फैसला किया है. हालांकि 'आशीर्वाद' योजना उन बच्चों पर लागू नहीं होगी जिन्हें किसी ने गोद लिया है.
सीएम नवीन पटनायक के योजना का शुभारंभ करते हुए जिला बाल संरक्षण ईकाइयों, चाइल्डलाइन, मंडल और पंचायत स्तर की समितियों और अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कोई लाभार्थी छूट न जाए.
अभियान चलाकर बच्चों की पहचान
उन्होंने कहा कि डीएम अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसे बच्चों की पहचान के लिए हर साल एक विशेष अभियान चलाएंगे. संरक्षकों और बच्चों की देखभाल करने वालों को 'आशीर्वाद' योजना के तहत लाभ उठाने के लिए बाल संरक्षण ईकाइयों के पास मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ संपर्क करने को कहा गया है.उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार के इस कदम से कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के भविष्य निर्माण में काफी मदद मिलेगी.
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