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यूक्रेन से एमबीबीएस ( MBBS in Ukraine ) की पढ़ाई कर रहे छात्रों का करियर संकट में है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | यूक्रेन से एमबीबीएस ( MBBS in Ukraine ) की पढ़ाई कर रहे छात्रों का करियर संकट में है। रूसी हमले ( Russia Ukraine War News ) के कारण यूक्रेन में बने हालातों के बीच इन छात्रों को डर सता रहा है कि वे अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर पाएंगे या नहीं। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बहुत से भारतीय छात्र देश वापस लौट आए हैं जबकि बहुत से अभी बंकर में फंसे हैं। ऐसे छात्रों में उजैफ रब्बानी भी शामिल हैं जो यूक्रेन में खारकीव के एक बंकर में अपने दिन बिता रहा है और वहां से निकलने की उम्मीद लगाए बैठा है। एमबीबीएस चौथे वर्ष का मेडिकल छात्र उजैफ भी अन्य भारतीय छात्रों की तरह इस बात को लेकर परेशान है
हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन में असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी। मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखा जाएगा।
रब्बानी ने खारकीव से फोन पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, 'मुझे अपनी मेडिकल डिग्री हासिल करने के लिए चार साल पूरे करने हैं। एक बार जब मैं यहां से निकाल लिया जाऊंगा तो मुझे सोचना होगा कि आगे क्या होगा। मुझे उम्मीद है कि सरकार किसी भारतीय कॉलेज में स्थानांतरित करने और वहां मेरी शिक्षा जारी रखने के लिए कोई विशेष प्रावधान करेगी।'
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खारकीव वही शहर है जहां गोलाबारी में कर्नाटक निवासी एक भारतीय छात्र की मौत हो गई।
हालांकि निधि यादव यूक्रेन से घर वापस आ गई हैं लेकिन उसके पिता को चिंता है कि क्या वह कीव में अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर पाएगी। प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा के पिता ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा। मैंने उसे डॉक्टर बनने की उम्मीद में यूक्रेन भेजने के लिए एक बड़ा कर्ज लिया, लेकिन अब चीजें खराब हो गई हैं। इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या स्थिति सामान्य हो जाएगी, क्या वह अपनी शिक्षा फिर से शुरू कर पाएगी, क्या उसे यहां अन्य विकल्प तलाशने होंगे।'
इस नियम की वजह से हो सकती है मुश्किल
विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंसधारी विनियम ( Foreign Medical Graduate Licentiate regulations ) के नए नियमों में कहा गया है कि एमबीबीएस के अभ्यर्थी कोर्स पूरा करने में 10 साल तक का समय ही ले सकते हैं। यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रम छह साल का है। भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी किफायती होने के कारण यूक्रेन से एमबीबीएश भारतीय छात्रों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प है।
फिलहाल नहीं है बीच सत्र में ऐसे छात्रों को खपाने का कोई नियम
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'अभी तक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत ऐसे मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए कोई मानदंड और नियम नहीं हैं, जो विदेश में पढ़ रहे थे और जिन्हें एक अकादमिक सत्र के बीच में भारतीय मेडिकल कॉलेजों में भारत लौटना पड़ा।
उन्होंने कहा, 'हालांकि, ऐसी असाधारण स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखेगी। सभी हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक बैठक जल्द ही होने की संभावना है।'
यूक्रेन के पोल्तावा स्टेट चिकित्सा विश्वविद्यालय में मेडिकल के छात्र साहिल भी ऐसे विद्यार्थियों में से एक हैं, जो वहां चार साल बिताने के बाद लौटे हैं। उन्होंने कहा, 'एक युद्ध क्षेत्र से बाहर निकलना मेरे दिमाग में पहली बात थी लेकिन आगे क्या होता है? मुझे उम्मीद है कि सरकार हमें इस पर कुछ स्पष्टता देगी और हमारे साल तथा पैसे बर्बाद नहीं होंगे।'
अनुमान है कि यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय (ज्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स) रहते हैं।
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