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कृष्ण जन्माष्टमी पर धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दे सरकार, इस्कॉन समेत कई मंदिरों की अपील
Deepa Sahu
25 Aug 2021 5:09 PM GMT
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कोरोना के मामलों में कमी को देखते हुए सरकार ने सभी आर्थिक गतिविधियों से पाबंदियां हटा ली हैं।
कोरोना के मामलों में कमी को देखते हुए सरकार ने सभी आर्थिक गतिविधियों से पाबंदियां हटा ली हैं। अब मेट्रो से लेकर मॉल तक और बाजार से लेकर होटलों तक को खोलने की अनुमति मिल चुकी है। लोग इन जगहों पर पहुंच रहे हैं और आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी हैं। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने अभी तक धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति नहीं दी है। जन्माष्टमी त्योहार के करीब आने पर इस्कॉन टेंपल सहित सभी मंदिरों ने अपील की है कि सरकार दो साल से बंद पड़े धार्मिक स्थलों को खोलने पर भी विचार करे।
इन मंदिरों ने कोरोना काल के दौरान भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने से लेकर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में बेहद प्रशंसनीय कार्य किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक सबने इनके निस्वार्थ सेवाकार्यों की प्रशंसा की थी। इस्कॉन टेंपल के राष्ट्रीय संचार निदेशक वृजेंद्रनंदन दास ने अमर उजाला से कहा कि जन्माष्टमी का त्योहार करीब आ चुका है। मंदिर में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने के लिए जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। लेकिन भगवान का घर भक्तों के बिना अधूरा होता है।
उन्होंने कहा कि मंदिर के कपाट दो साल से बंद पड़े हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि सरकार मंदिरों को खोलने की अनुमति दे जिससे भक्तों को अध्यात्मिक शांति मिल सके। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार इस दौरान एक सीमित संख्या में और उचित सावधानी बरतते हुए भक्तों को मंदिरों में आने की अनुमति दे सकती है। मंदिरों ने इसके पहले भी कोरोना महामारी के नियमों का पूरा पालन किया था। सरकार इस बार भी इसी प्रकार उचित निर्देश देकर मंदिरों को खोलने अनुमति दे।
जब होटल और मॉल खुल रहे हैं तो मंदिर क्यों नहीं?
कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि सरकार ने होटलों और मॉल्स को खोलने की अनुमति दे दी है। बसों-मेट्रो में लोगों की भारी भीड़ आवाजाही कर रही है। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कोरोना संक्रमण रोकने के नाम पर केवल मंदिरों को बंद कर रखा है। उन्होंने कहा कि यह उचित नहीं है और सरकार को दो साल से बंद पड़े मंदिरों को खोलने के लिए भी उचित दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।
झंडेवालान देवी मंदिर के प्रशासक नंदकुमार सेठी ने कहा कि 30 अगस्त को जन्माष्टमी से त्योहारों की शुरूआत हो रही है। इसके बाद गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा और दीपावली के त्योहार एक के बाद एक आते रहेंगे। सरकार ने सभी गतिविधियों को खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन मंदिरों को खोलने पर अभी तक कोई विचार नहीं किया जा रहा है। दो साल से बंद पड़े मंदिरों को अब संचालन खर्च निकालना भी भारी पड़ रहा है, जबकि भक्तों के मंदिर तक न आने से अब उनकी आय का कोई स्रोत नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन समिति से अनुरोध है कि वह मंदिरों की समस्या को देखते हुए इनको खोलने की अनुमति प्रदान करे।
छतरपुर मंदिर के प्रशासक एनके सेठी ने कहा कि मंदिरों में आने से लोगों की आध्यामिक सोच मजबूत होती है और उन्हें बीमारी सहित किसी भी परेशानी से जूझने की मानसिक शक्ति मिलती है। कोरोना काल में जब लोग कई तरह से परेशान रहे हैं, उन्हें मंदिरों तक आने की अनुमति देकर उनको शांति पाने में मदद की जा सकती है। सरकार को मंदिरों के विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखते हुए धर्मस्थलों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए।
राजधानी के प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर के एक पदाधिकारी और अखिल भारतीय अर्चक महासंघ के महामंत्री आचार्य रामगोपाल शुक्ल ने कहा कि इसके पूर्व राजधानी के सभी मंदिरों के प्रशासकों ने एक बैठक कर सरकार से मंदिरों को खोलने के लिए एक ज्ञापन दिया था। लेकिन मंदिरों की इस अपील पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब जबकि राजधानी में कोरोना के मामले घटकर बेहद कम हो गए हैं, और इसी तर्क पर सरकार सभी आर्थिक गतिविधियों को खोलने की अनुमति दे रही है, उसे मंदिरों को खोलने की अनुमति भी देनी चाहिए।
दिल्ली में सुधर रही कोरोना की स्थिति, तीसरी लहर की चेतावनी भी
राजधानी दिल्ली में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रण में आ चुकी है। बीते तीन दिनों में कोरोना के कारण किसी की मौत नहीं हुई है। कोरोना पॉजिटिविटी रेट घटकर लगभग 0.04 फीसदी तक आ गया है। संक्रमित होने वालों की संख्या भी 25 के लगभग आ गई है। कोरोना के मामलों में कमी को देखते हुए ही सरकार ने आर्थिक गतिविधियों में छूट दी है।
कोरोना के मामलों में कमी आ रही है, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ अक्तूबर के मध्य में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जता रहे हैं। इसे लेकर अलग-अलग विशेषज्ञों ने अलग-अलग आशंकाएं जताई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक हो सकती है और बच्चों पर इसका गहरा असर हो सकता है तो कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर काफी सीमित रहने वाला है।
इन आशंकाओं के बीच सरकार अपनी तैयारियां तेज कर चुकी है। अकेले राजधानी में ही कोरोना के 37 हजार बेड तैयार किए जा चुके हैं। इनमें 12 हजार आईसीयू बेड हैं जिनमें बच्चों के लिए स्पेशल बेड भी शामिल हैं। बच्चों के लिए अस्पतालों में 20 फीसदी बेड सुरक्षित रखे जाएंगे। दूसरी लहर की तरह की किसी अनहोनी को रोकने के लिए सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन का उत्पादन और इसकी उपलब्धता बढ़ाने की भी तैयारी की जा रही है।
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