धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में उड़ाए सरकारी पैसे, पकड़े गए मंत्री जी
भोपाल। BJP नेताओं के चुनावी कार्यक्रमों में किस तरह मध्यप्रदेश शासन का पैसा बर्बाद किया जा रहा है, यह अब महज विपक्ष का आरोप नहीं, बल्कि इसकी सार्वजनिक स्वीकारोक्ति भी हो गई है. मध्य प्रदेश के हरसूद (खंडवा) में प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने अपनी चुनावी तैयारियों के सिलसिले में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दो दिवसीय कथा का आयोजन करवाया, लेकिन सरकारी खर्चे पर. धीरेंद्र शास्त्री की कथा के लिए भव्य पंडाल और अन्य खर्चीली व्यवस्थाएं गई थीं. इन इंतजामों को सरकारी पैसे से करवाने के लिए विजय शाह ने एक दिन पहले उसी टेंट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम करवा आयोजित करवा लिया. इस राज का खुलासा पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने 'दिव्य दरबार' में सार्वजनिक रूप से कर दिया. यही नहीं, वन मंत्री शाह भी गर्दन हिलाकर इसकी स्वीकारोक्ति कर गए. यह वायरल वीडियो अब मंत्री ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री को भी परेशानी में डाल सकता है.
दरअसल, हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए मध्यप्रदेश में अनेक स्थानों पर चुनाव लड़ने वाले नेता बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथाएं करवाने में जुटे हैं. इसी सूची में खंडवा जिले के हरसूद विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय शाह प्रदेश के वन मंत्री भी शामिल हैं. शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने धीरेंद्र शास्त्री की दो दिवसीय कथा का आयोजन 23-24 सितंबर को हरसूद में कराया. इस भव्य आयोजन पर करोड़ों रुपया खर्च किये जाने की चर्चा है.
धीरेंद्र शास्त्री को खंडवा एयर स्ट्रिप पर चार्टर प्लेन से लाया गया और फिर कथावाचक को महंगी कारों के काफिले में हरसूद ले जाया गया. यहां कथा के लिए एक भव्य वाटरप्रूफ टेंट और महंगी साज-सज्जा वाले स्टेज का निर्माण कराया गया. खास बात यह है कि मंत्री विजय शाह ने बड़ी चतुराई से आयोजन के इस खर्च को सरकारी मद से करवा दिया. इसके ठीक एक दिन पहले मंत्री विजय शाह ने हरसूद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को बुलाकर तेन्दु पत्ता संग्राहकों को बोनस राशि वितरण और चरण पादुका योजना का सरकारी कार्यक्रम करवा दिया. बहरहाल, सरकारी खर्चे से कार्यक्रम करवाने का आरोप उन पर किसी विपक्षी ने नहीं लगाया, बल्कि सार्वजनिक मंच से पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने ही पर्चा निकालने के रूप में लगा दिया. मंत्री विजय शाह भी हंसते हुए अपनी इस चतुराई को स्वीकार कर गए.