इंजीनियरों की लापरवाही से सरकार को हुआ करोड़ों रुपए का नुकसान, अब जीएसटी वसूलने के दिए निर्देश
बिहार के 18 सौ से अधिक ठेकेदारों ने सरकार से पूरी राशि ले ली लेकिन जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जमा नहीं किया। इंजीनियरों की लापरवाही से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। मामला उजागर होने पर ग्रामीण कार्य विभाग ने इंजीनियरों को उन ठेकेदारों से जीएसटी वसूलने को कहा है जिनसे इसकी वसूली नहीं हो सकी है। जीएसटी की राशि करोड़ों में बतायी जा रही है।
विभाग की ओर से इस बाबत सभी कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता और प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि विपत्रों के भुगतान से पूर्व संवेदकों की ओर से जीएसटी जमा करने का प्रावधान है। इंजीनियरों को जीएसटी विवरणी दाखिल की जांच करनी है। वाणिज्यकर विभाग की ओर से मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 के सितम्बर से नवम्बर का वर्ष 2020-21 के सितम्बर-नवम्बर अवधि का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ग्रामीण कार्य विभाग में जीएसटी संग्रह काफी कम है। समीक्षा में पाया गया कि 90 निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों ने 1832 संवेदकों को राशि भुगतान कर दी लेकिन या तो उनसे जीएसटी नहीं वसूली गई या कम पैसे वसूले गए। पदाधिकारियों ने जीएसटी विवरणी दाखिल करने में भी अनियमितता बरती। नियमानुसार ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यरत ठेकेदारों का जीएसटी के तहत पंजीकृत होना जरूरी है। पंजीकृत संवेदकों को हर तीन महीने पर जीएसटी विवरणी दाखिल कर रिपोर्ट देनी है।
ग्रामीण कार्य विभाग ने ठेकेदारों को बड़ी राहत दी है। अब तक समय पर काम नहीं पूरा होने पर ठेकेदारों को राशि रोक दी जाती थी। अब विभाग ने तय किया है कि समय पर काम नहीं होने पर 10 फीसदी राशि जुर्माने के तौर पर काट ली जाएगी और बाकी राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। विभाग का मानना है कि मौजूदा नियम के कारण वास्तविक कारणों से सड़क निर्माण नहीं करा पाने वाले ठेकेदारों का भी भुगतान रूक जा रहा था। अब 10 फीसदी जुर्माना को छोड़ बाकी राशि दे दी जाएगी। अगर ठेकेदार समय अवधि विस्तार ले लेंगे तो उनको यह राशि वापस कर दी जाएगी।
विभाग ने कहा है कि सभी कार्य अनुबंधों में निष्पादित कार्यों के भुगतान से पूर्व हर हाल में यह जांच की जाए कि संवेदकों ने मौजूदा वित्तीय वर्ष का जीएसटी जमा कर दिया है। इसके लिए जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन भी जांच की जा सकती है। विभाग ने कार्यपालक अभियंता व प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारियों को चेतावनी दी है। कहा है कि संवेदक द्वारा किए गए जीएसटी रिटर्न का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। जीएसटी भुगतान किए बिना ही संवेदकों को राशि देने वाले पदाधिकारियों व कर्मियों पर वित्तीय अनुशासनहीनता का दोषी माना जाएगा और उन पर कार्रवाई की जाएगी।
राज्य के 18 सौ से अधिक ठेकेदारों ने सरकार से पूरी राशि ले ली लेकिन जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जमा नहीं किया। इंजीनियरों की लापरवाही से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। मामला उजागर होने पर ग्रामीण कार्य विभाग ने इंजीनियरों को उन ठेकेदारों से जीएसटी वसूलने को कहा है जिनसे इसकी वसूली नहीं हो सकी है। जीएसटी की राशि करोड़ों में बतायी जा रही है। विभाग की ओर से इस बाबत सभी कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता और प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि विपत्रों के भुगतान से पूर्व संवेदकों की ओर से जीएसटी जमा करने का प्रावधान है। इंजीनियरों को जीएसटी विवरणी दाखिल की जांच करनी है। वाणिज्यकर विभाग की ओर से मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 के सितम्बर से नवम्बर का वर्ष 2020-21 के सितम्बर-नवम्बर अवधि का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ग्रामीण कार्य विभाग में जीएसटी संग्रह काफी कम है। समीक्षा में पाया गया कि 90 निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों ने 1832 संवेदकों को राशि भुगतान कर दी लेकिन या तो उनसे जीएसटी नहीं वसूली गई या कम पैसे वसूले गए। पदाधिकारियों ने जीएसटी विवरणी दाखिल करने में भी अनियमितता बरती। नियमानुसार ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यरत ठेकेदारों का जीएसटी के तहत पंजीकृत होना जरूरी है। पंजीकृत संवेदकों को हर तीन महीने पर जीएसटी विवरणी दाखिल कर रिपोर्ट देनी है।