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दो कांग्रेस विधायकों के बेटो और एक कैबिनेट मंत्री के दामाद को सरकारी नौकरी, अब सियासी संग्राम शुरू, जाने पूरा मामला
jantaserishta.com
20 Jun 2021 4:44 AM GMT
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पंजाब कांग्रेस में जारी अंतर्कलह के बीच शुक्रवार को कैबिनेट की मीटिंग हुई. इस कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव लाकर दो विधायकों के बेटों और एक कैबिनेट मंत्री के दामाद को सरकारी नौकरी दे दी गई. कैबिनेट के इस फैसले को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है. विपक्ष ने इसे नौकरियों की बंदरबांट बताते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
जानकारी के मुताबिक पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया. वहीं, कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति दे दी गई. प्रताप सिंह बाजवा के भाई और कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को भी पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त कर दिया गया.
इन तीनों को नौकरी का ऐलान करते हुए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि इन परिवारों ने प्रदेश के लिए कुर्बानी दी है और आतंकवाद के दौर में इन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है. उन्होंने ये भी कहा कि पंजाब सरकार की पॉलिसी के हिसाब से नियमों के मुताबिक नौकरी पाने के हकदार हैं और उसी के एवज में इनको ये नौकरियां दी गई हैं.
सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया. इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया. आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक विशेष मामले में मंत्रिमंडल की बैठक में अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में निरीक्षक (ग्रुप बी) और भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार (ग्रुप बी) के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया.
सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण का बलिदान किया था. मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी जो जोगिंदर पाल पांडे के पोते हैं जिनकी 1987 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी. हालांकि, कैबिनेट में इस बात को लेकर विरोध भी हुआ.
इस पूरे मसले को लेकर जब विपक्षी अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने सवाल खड़े किए तो खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह बचाव में सामने आए. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने आतंक के दौर में पंजाब और देश के लिए अपनी जान दी हैं वो परिवार पंजाब सरकार के नियमों के मुताबिक ही ये नौकरियां पाने के हकदार हैं. कैप्टन ने कैबिनेट के इस फैसले का विरोध कर रहे विपक्षियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने अकाली दल और आम आदमी पार्टी के भी ऐसे नेताओं को ढूंढ़ा जिनके पूर्वज इस तरह से शहीद हुए हों और उनके परिवारों को नौकरी दी जा सके लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा परिवार इन पार्टियों में नहीं मिला.
अकाली दल ने इस मसले पर तीखे तेवर अपना लिए हैं. बिक्रम सिंह मजीठिया ने राष्ट्रपति और राज्यपाल से इस मामले में दखल देने की मांग की और कहा कि ये सरकारी लूट हो रही है. कैप्टन अमरिंदर नाराज विधायकों को खुश करने और अपनी कुर्सी बचाने के लिए इस तरह से नौकरियां बांट रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जो नौकरियां पंजाब के युवाओं को मिलनी चाहिए थीं वो विधायकों के बेटों को नियम ताक पर रखकर दी जा रही हैं.
भारतीय जनता पार्टी भी इस मसले पर पंजाब सरकार के खिलाफ उतर आई है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा कि अगर सरकारी नौकरियां देनी ही थीं तो उन 35000 परिवारों के बच्चों को दी जातीं जिनके अपनों ने आतंकवाद के दौर में अपनी जान दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ चुनिंदा कांग्रेस नेताओं के परिजनों को ही ये नौकरियां दी जा रही हैं. पार्टी में अंतर्कलह से जूझ रही कैप्टन सरकार की ओर से बांटी गई नौकरियों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
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