सरकार एथनॉल निर्माताओं के सामने आने वाले टूटे चावल और मक्का जैसे कच्चे माल की कमी की समस्या के समाधान का विकल्प तलाश रही है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चावल की अनुपलब्धता के कारण डिस्टिलरीज़ को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया है कि मक्का और टूटे चावल की कीमतें बहुत अधिक हैं। यह मुद्दा वास्तव में हमारे विचाराधीन है। हम समस्या से अवगत हैं। बहुत जल्द, हम इस पर कोई उपयुक्त निर्णय लेंगे। पिछले महीने सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपने डिपो से एथनॉल निर्माताओं को चावल की आपूर्ति रोक दी थी।
एथनॉल की कीमत 69.85 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाने की उद्योग संस्था इस्मा की मांग पर चोपड़ा ने कहा कि एक समिति इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या सरकार इस एथनॉल वर्ष के आखिरी महीने (दिसंबर-नवंबर) में इसकी कीमतें बढ़ाने पर विचार करेगी, यह कुछ ऐसी बात है जिस पर सरकार फैसला करेगी। अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।’’ सचिव ने यह भी कहा कि पिछले 2-3 साल में अनाज आधारित एथनॉल की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ी है। वर्ष 2021-22 में यह 17 प्रतिशत रही। चालू वर्ष में तो यह 17 प्रतिशत से भी अधिक हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण अब तक 11.7 प्रतिशत तक पहुंच गया है और इस साल 12 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एथनॉल बनाने के लिए अनाज की कमी पर गौर कर रही है। नतीजतन, सरकार अब मक्के को प्रोत्साहित कर रही है। मक्का का उपयोग विश्वस्तर पर एथनॉल उत्पादन के लिए एक लागत सामग्री के रूप में किया जाता है। किसी कारण से भारत में ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा कि अगले तीन साल में मक्के का उत्पादन बढ़ाने की योजना है ताकि एथनॉल बनाने के लिए अधिक मक्का उपलब्ध हो सके।