एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की खुदकुशी के मुद्दे में राउज एवेन्यू न्यायालय ने हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। न्यायालय ने इस मुकदमा में सह आरोपी अरुणा चड्डा को भी बरी कर दिया है। पांच अगस्त 2012 में गोपाल कांडा की कंपनी एमडीएलआर एयरलाइंस की पूर्व निदेशक गीतिका ने अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।
शर्मा ने अपनी मृत्यु के लिए गोपाल कांडा और एमडीएलआर के मैनेजर अरुणा चड्ढा को उत्तरदायी ठहराया था। आज राऊज एवेन्यू न्यायालय ने निर्णय पढ़ते हुए बोला कि आरोपियों के विरुद्ध खुदकुशी का मुकदमा साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और हो सकता है कि गीतिका ने किसी और वजह से खुदकुशी की हो।
नोट में नाम होने से गुनाह साबित नहीं’
कोर्ट ने अपने निर्णय में बोला कि गीतिका शर्मा के सुसाइड नोट के आधार पर गोपाल कांडा को गुनेहगार साबित नहीं किया जा सकता। महज सुसाइड नोट में किसी आरोपी के नाम का जिक्र भर होने से किसी को खुदकुशी के लिए उकसाने का गुनेहगार नहीं बताया जा सकता। किसी का गुनाह साबित होने के लिए महत्वपूर्ण है कि उस नोट में उस उकसावे/हरकत का जिक्र हो जिससे परेशान होकर पीड़ित ये कदम उठा रहा है।
सुसाइड नोट में गीतिका ने अपने नजरिए से गोपाल कांडा को खराब आदमी जरूर कहा लेकिन किसी ऐसी घटना का जिक्र नहीं किया जिससे लगे कि उसके साथ कोई विश्वासघात हुआ या आरोपियों ने उसके साथ विश्वासघात किया था।
कोर्ट ने बोला कि सुसाइड नोट में इसका जिक्र नहीं है कि गोपाल कांडा ने गीतिका को संडेल एजुकेशन सोसायटी से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए दवाब बनाया। इसका भी जिक्र नहीं है कि कांडा ने नूपुर या अंकिता सिंह के विरुद्ध गोवा में दर्ज FIR को वापस लेने के लिए दबाव बनाया या फिर कांडा ने उसे MBA की फीस वापस लेने के लिए दबाव बनाया।
मौत से कई महीने पहले तक वार्ता नहीं थी…
कोर्ट ने अपने निर्णय में बोला कि गीतिका शर्मा की मृत्यु से 7 -8 महीने पहले तक गीतिका शर्मा और गोपाल कांडा के बीच टेलीफोन पर कोई वार्ता नहीं हुई थी। गीतिका शर्मा और इस मुकदमा में सह आरोपी अरुणा चड्डा के बीच भी एक महीने से भी वार्ता नहीं हुई थी। इसलिए आरोपियों ने खुदकुशी के उकसाया हो, ऐसा नहीं लगता।
गीतिका और कांडा के बीच दोस्ताना रिश्ते
कोर्ट ने अपने निर्णय में बोला कि गीतिका और गोपाल कांडा के बीच दोस्ताना संबंध थे, दोनों एक साथ कई स्थान घूमने जाया करते थे। गोपाल कांडा ने भी गीतिका को लाभ पहुंचाया। इसलिए पुलिस का ये बोलना कि आरोपियों ने ऐसे हालात बनाए कि गीतिका के पास खुदकुशी के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था, ठीक नहीं है।
गीतिका ने अपनी मर्जी से निर्णय लिए
गोपाल कांडा की MDLR एयरलाइन्स जॉइन करने से पहले, वहां प्रमोशन पाने और MDLR से त्याग-पत्र देकर Emirates airlines जॉइन करने का निर्णय गीतिका का अपना था। ऐसा कोई सबूत नहीं जिससे तस्दीक हो सके कि गीतिका को त्याग-पत्र देने के लिए उस पर दबाव डाला गया था। अपमी मर्जी से MDMR ग्रुप छोड़ने के गीतिका के निर्णय को आरोपियों की ओर से उकसावा नहीं समझा जा सकता।