दिल्ली: अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम और गूगल प्ले-स्टोर बिलिंग में गूगल ने कई बदलाव किए, जो 26 जनवरी से लागू हो गए हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की ओर से लगाए गए जुर्माने के बाद गूगल ने ये फैसला लिया है।
प्री-इंस्टॉल करने के लिए लाइसेंस: इसके तहत अब स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरर्स को गूगल के ऐप को फोन में प्री-इंस्टॉल करने के लिए लाइसेंस लेना होगा। साथ ही एंड्रॉयड यूजर्स के पास अपनी डिवाइस पर एक डिफॉल्ट सर्च इंजन सेलेक्ट करने का ऑप्शन भी होगा। इसके अलावा गूगल प्ले-स्टोर पर ऐप बिलिंग के लिए थर्ड पार्टी पेमेंट मोड का भी विकल्प मिलेगा। गूगल ने अपने ब्लॉग में कहा है कि अब मोबाइल कंपनियों को गूगल के एप को अपने फोन में प्री-इंस्टॉल देने के लिए लाइसेंस लेना होगा, जबकि पहले गूगल के एप्स एंड्रॉयड फोन में प्री-इंस्टॉल आते थे। इसके अलावा भारतीय एंड्रॉयड मोबाइल यूजर्स अपने फोन या टैबलेट में डिफॉल्ट सर्च इंजन को भी चुन सकते हैं।
एप बिलिंग के लिए थर्ड पार्टी पेमेंट मोड का भी विकल्प: मौजूदा समय में डिफॉल्ट सर्च इंजन गूगल रहता है। इसके अलावा गूगल प्ले-स्टोर पर एप बिलिंग के लिए थर्ड पार्टी पेमेंट मोड का भी विकल्प मिलेगा। बता दें कि गूगल के खिलाफ सीसीआई के 20 अक्टूबर और 25 अक्टूबर, 2022 के आदेश गुरुवार यानी 26 जनवरी से प्रभावी हो रहे हैं।
बता दें कि सीसीआई ने एंटी-कम्पेटिटिव प्रैक्टिस और प्ले स्टोर की नीतियों के जरिए अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ का जुर्माना लगाया था।