भारत
अच्छी खबर: भारत में नहीं आएगी कोरोना की तीसरी लहर, विशेषज्ञ ने दी ये खुशखबरी
jantaserishta.com
22 Jun 2021 9:41 AM GMT
x
नई दिल्ली. दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) ने हाल ही में देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) की तीसरी लहर (Corona Third Wave) को लेकर चेतावनी दी है. उनका कहना है कि कोविड-उपयुक्त व्यवहार का ठीक से पालन नहीं किया गया और भीड़-भाड़ नहीं रोकी गई तो अगले छह से आठ हफ्ते में ही कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर देश में दस्तक दे सकती है. हालांकि उनके इस दावे के उलट कुछ शीर्ष वायरोलॉजिस्ट या विषाणु वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर का डर बेबुनियाद है. उनके अनुसार देश में जल्द कोरोना संक्रमण बढ़ने को लेकर कही भी कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं है.
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी जैकब जॉन का कहना है कि जब तक देश में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई नया वेरिएंट सामने नहीं आता, तब तक तीसरी लहर संभव नहीं है. उनका कहना है कि मौजूदा कोरोना वेरिएंट संक्रमण में नई वृद्धि उत्पन्न नहीं कर सकता. उनका यह भी कहना है कि जुलाई के अंत तक यह महामारी लगातार घटने लगेगी. प्रभावी रणनीति के कारण हम कोविड 19 से उबर सकते हैं. वहीं अमेरिका में रह रहे डॉक्टर डॉ. रवि गोडसे ने भी कोरोना की तीसरी लहर से संबंधित मुद्दों पर बात की है. जानिये डॉ. रवि गोडसे ने क्या कहा है...
क्या कोरोना वायरस का अंत हो गया?
मेरा मानना है कि कोई भी भारत में संक्रमित होने से नहीं बचा है. मगर जिनमें हुआ वो ठीक भी हुए. टीके अच्छी दर से लोगों को लगे हैं. केस आ सकते हैं मगर लहर नहीं आएगी. 1 जुलाई को अंत हो जाएगा. डर से प्रतिरोधात्मक क्षमता भी प्रभावित होती है. 2 अक्टूबर तक मास्क भी उतर जाएंगे पूरे भारत में. अपने लोग बहुत प्यारे हैं , वो बदलने वाले नहीं है.
बच्चों को लेकर माता-पिता बहुत डरे हुए हैं...
यह सरासर गलत बात है. बच्चों में या युवाओं में जो केस दिख रहे हैं, वो निशानी है कि वैक्सीनेशन चल रहा है. बच्चों की प्रतिरोधात्मक क्षमता ज्यादा बेहतर है. हजार में 10 बच्चों में ही ये दिख रहा है.
डेल्टा वैरिएंट क्या है?
अल्फा मतलब ब्रिटिश वैरिएंट. ये आरएनए वायरस है जो रूप बदलता है. डॉ. रवि ने कहा कि मैं डेल्टा को इंडियन म्यूटेंट तो कहूंगा ही नहीं. मैं तो चायनीज वायरस ही कहूंगा. स्टडीज लैब में नहीं करने चाहिए. दुनिया के 52 मुल्क साइनोवैक यूज कर रहे हैं, जो चीन दे रहा है. रीयल लाइफ में समाज में वैक्सीनेशन स्टडीज़ होने चाहिए.
टीके के असरदार होने पर भी सवाल हैं, सवाल असर क्षमता को लेकर है?
लोग थोड़े डरे हुए हैं. मान लीजिए 4 हफ्ते के फासले पर जिसने भी टीका लिया और उसकी असर क्षमता 55 फीसदी है मतलब है कि आपको 45 फीसदी चांस है कोविड होने का. लेकिन सीरियस होने से वो आपको बचाता है. खबर ये चलती है कि वैक्सीन के बाद भी कोविड हो गया लेकिन इसको ऐसे भी सोच सकते हैं कि कोविड के दो डोज लेकर मैं बच गया और अस्पताल नहीं गया ये सोचने की जरूरत है. अगर डोज़ का गैप बढ़ाया गया है तो यकीनन सबके हित में है.
कोविशिल्ड या कोवैक्सिन
कोवैक्सिन को परमिशन मिलने के बाद तीसरे फेज का डेटा ही नहीं आया था. सबकुछ अचानक से हो गया. लोग डर गए. मुझे भी अचरज हुआ था जैसे फिल्मों में रजनीकांत अचानक से चश्मा निकाल लेते हैं. कोवैक्सिन के डेटा के रिलीज के साथ भी कुछ वैसा ही हुआ.
कोवैक्सिन और कोविशील्ड को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है...
अभी दुनिया में मिक्स एंड मैच स्टडी आ रही है. अलग अलग वैक्सीन के अलग अलग गुण हैं. ये करने से दो अलग तरह से रोग प्रतिरोध क्षमता को बल मिलता है. कोविशील्ड यूरोप में इस्तेमाल में नहीं है. भारत का क्लाइमेट और ब्रिटेन का मौसम, दोनों में अंतर है. मेरा दावा है कि तीन चार महीने बाद पता चलेगा कि दोनों अलग अलग डोज लेने का फायदा दिख रहा है लेकिन, कोवैक्सिन का स्पूतनिक के साथ मिक्स अप साइंस के नजरिए से सही नहीं होगा. भारत में वैक्सीन देने में बेहतर काम होगा.
दोनों वैक्सीन लेने के कितने दिनों तक इसका असर रहेगा?
शायद एक या दो साल तक. उसके बाद फिर बूस्टर लेना होगा. पहले वर्तमान देख लें फिर भविष्य तय करेंगे.
फंगस को लेकर लोगों को परेशानी हुई मतलब पोस्ट कोविड ने परेशान किया?
स्टेरॉयड का चलन ही मुख्य कारण है. अगर सरकार को कंट्रोल करना है तो आज करना होगा. बिना चिकित्सक के इसका इस्तेमाल गलत है. पहले 7 दिन में स्टेरॉयड बिल्कुल नहीं और 10 दिन से ज्यादा नहीं. दुनिया में फंगस के केस केवल भारत में है.
तीसरी लहर के बारे में आखिरी बात?
केस आएंगे मगर लहर नहीं आएगी. डरना नहीं है. हिम्मत बनाए रखें. वैक्सीनेशन जारी रहे. बच्चों को कुछ नहीं होगा. मैं इसके बारे में बहुत कॉन्फिडेंट हूं. इसके पीछे सॉलिड साइंस है. लॉकडाउन के साथ लुकाछिपी बहुत हुई अब उसे ढूंढकर खत्म करेंगे. मेरी संवेदना उन परिवारों के साथ है, जिनके अपने इस दुनिया में नहीं हैं. भारत की इम्युनिटी सारे जहां से अच्छी है.
jantaserishta.com
Next Story