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किसानों के लिए खुशखबरी, कृषि अधिकारी ने किया इंटीग्रेटेड फार्मिंग की नई तकनीक का निजात
jantaserishta.com
21 July 2021 10:20 AM GMT
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. इसको लेकर सरकार की तरफ से कई तरह की योजनाएं और मॉडल भी सामने लाए जा रहे हें. खेती की ऐसी ही एक तकनीक है इंटीग्रेडेड फॉर्मिंग, जिसपर खासा जोर दिया जा रहा है. इस तकनीक के माध्यम से किसान खेत पर कई तरह के कार्य कर न केवल अपनी आय में अच्छा खासा इजाफा कर सकते हैं. साथ लागत को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं.
सीतापुर जिले के कृषि उपनिदेशक अरविंद मोहन मिश्रा ने भी इंट्रीगेडेड फॉर्मिंग की नया मॉडल विकसित किया है. उन्होंने अभी इस मॉडल को अप्रूवल के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग को भी लिख रखा है. उनके मुताबिक उन्होंने इंटीग्रेडेड फॉर्मिंग की एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो छोटे और सीमांत किसान को आने वाले समय में काफी मुनाफा देने वाली है. इस समय कुल 10 किसान इस मॉडल का उपयोग कर लाभ उठा रहे हैं.
क्या है ये मॉडल?
वह बताते हैं कि उन्होंने इस मॉडल के मुताबिक खेतों में तालाब तैयार करवाया है. तालाब के अंदर वह मछली पालन का करवाते हैं. उसके अगल-बगल में उन्होंने मुर्गी पालन की खेती करवा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने एक किनारे पर सब्जियां तो दूसरे किनारे पर बागवानी करने और आम- नीम और केले जैसे पौधे को लगाने की तरफ बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं दूसरे किनारे पर किसानों को उन्होंने पंरपरागत फसलों खेती करने की सलाह दी है उनका कहना है इसमें से कुछ फसले ऐसी हैं जो किसान को रोज के रोज हाथों-हाथ मुनाफा देती है, कुछ का मुनाफा 6-7 महीने बाद दिखाई देता है.
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भी इंटीग्रेडेड फॉर्मिंग का बढ़ावा दे रही हैं. इसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार खेत-तालाब स्कीम की तहत किसानों को खेतों में तालाब बनाने के लिए 50 प्रतिशत तक का अनुदान दे रही है. इसके तहत सरकार बड़े तालाबों पर किसानों को 1 लाख 14 हजार और छोटे तालाबों पर 52,500 की राशि देकर मदद कर रही है.
अरविंद मोहन मिश्रा बताते है कि उनका ये मॉडल जीरो बजट खेती पर आधारित है. वह बताते हैं इस मॉडल के अनुसार वे किसानों को पशुपालन करने की भी सलाह दे रहे है. इसके साथ ही गाय और भैंस के गोबर से वे किसानों को घर पर ही जैविक खाद्य बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसके अलावा किसानों को सब्जी की खेती और मुर्गी पालन से 12 महीने लगातार लाभ मिलता है, तो इससे इंटीग्रेडेड फॉर्मिंग में लगने वाली लागत ना के बराबर हो जाती है. साथ ही वह ये भी बताते हैं कि किसान भाई पर्यावरण को देखते हुए अपने फायदे के लिए अन्य फसलों को भी इस मॉडल को शामिल कर सकते हैं.
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